श्रीलंका में 21 अप्रैल को हुए बम धमाकों के डेढ़ महीने बाद राष्ट्रीय खुफिया विभाग के प्रमुख सिसिरा मेंडिस ने शनिवार को त्याग पत्र दिया. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना व पीएम रानिल विक्रमसिंघे का आरोप है कि बम धमाकों से 15 दिन पहले हिंदुस्तान से मिली खुफिया जानकारी की सूचना अफसरों ने उन्हें नहीं दी. सिसिरा को आलोचनाएं भी झेलनी पड़ रही थीं. ईस्टर के दिन हुए बम धमाकों में 11 भारतीय समेत 258 लोगों की जान गई थी.
मीडिया के मुताबिक, पार्लियामेंट सिलेक्ट कमेटी (पीएससी) के दौरान सिसिरा ने दावा किया था कि राष्ट्रपति सुरक्षा संबंधीबैठक लेने में नाकाम रहे हैं. इसके बाद राष्ट्रपति ने भी बयान जारी कर मेंडिस की आलोचना की थी. श्रीलंका के रक्षा सचिव शांता कोटेगोड़ा ने सिसिरा के इस्तीफे की पुष्टि की. शांता ने बोला कि राष्ट्रपति द्वारा की गई आलोचना से सिसिरा बहुत ज्यादा दुखी हुए व उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया.
निलंबित पुलिस प्रमुख ने भी राष्ट्रपति को असफल बताया था
निलंबित पुलिस प्रमुख पी। जयसुंदरा ने भी राष्ट्रपति को धमाकों को रोकने में असफल बताया था. जयसुंदरा ने 20 पेज की शिकायत में उच्चतम न्यायालय से बोला था कि 9 अप्रैल को हमें खुफिया विभाग से एक लेटर मिला. इसमें योजनाबद्ध हमले की जानकारी दी गई थी, लेकिन स्टेट इंटेलिजेंस सर्विसेज (एसआईएस) के प्रमुख नीलांत जयवर्द्धने ने लापरवाही बरती.हालांकि, राष्ट्रपति ने जयवर्द्धने को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जानकारी सीधे पीएम को देने के लिए बोला था.
9 मुस्लिम मंत्रियों व दो प्रांतीय राज्यपालों ने त्याग पत्र दिया
धमाकों के बाद से देशभर में फैली सांप्रदायिक हिंसा के चलते 3 जून को 9 मुस्लिम मंत्रियों व दो प्रांतीय राज्यपालों ने अपने पद से त्याग पत्र दिया है. मंत्रियों का बोलना है कि हिंसा में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है व सरकार रक्षा करने में नाकाम रही है. सभी ने बोला कि वे सरकार का समर्थन करते रहेंगे. समर्थन भी इस शर्त पर होगा कि सभी अल्पसंख्यकों को समान न्याय मिले व हिंसा की निष्पक्ष जाँच कर दोषियों को सजा मिले.
आईएस ने ली थी धमाकों की जिम्मेदारी
श्रीलंका में ईस्टर के दिन 8 सीरियल धमाके हुए थे. यह धमाके तीन चर्च व पांच होटलों में हुए. धमाकों की जिम्मेदारी इस्लामिक जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) वइस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने ली थी.