उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के लोखरी गांव के मंदिर से चोरी हुई बकरी के सिर वाली 10वीं शताब्दी की पत्थर के सिर वाली योगिनी की मूर्ति को भारत वापस लाया जा रहा है। इस बारे में ब्रिटेन स्थित भारतीय उच्चयोग ने रविवार को एक बयान जारी जानकारी दी है।
● विदेश राज्य मंत्री लेखी ने कहा- भारत की सांस्कृतिक विरासत और गौरव को बहाल करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
अपने बयान में उच्चायोग ने कहा कि 10वीं शताब्दी की एक बहुत ही खास पत्थर की मूर्ति की बरामदगी और प्रत्यावर्तन की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है, जिसे कभी 1980 के दशक में उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी से चोरी कर लिया गया था।
मूर्ति एक बकरी के सिर वाली योगिनी की है, जो मूलरूप से बलुआ पत्थर में पत्थर के देवताओं के एक समूह से संबंधित है और वह लोखरी मंदिर में स्थापित थी। वर्ष 1986 में नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की ओर से भारतीय विद्वान विद्या दहेजिया के अध्ययन का यह विषय था, जिसे बाद में ‘योगिनी पंथ और मंदिर: एक तांत्रिक परंपरा’ शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया था।
अक्टूबर 2021 में भारतीय उच्चायोग को बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्तिकला की खोज के बारे में जानकारी मिली, जो लंदन के पास एक निजी निवास के बगीचे में पाई गई।
यह लोखरी संग्रह के विवरण से मेल खाती थी। सिंगापुर की इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और लंदन की आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल संस्था ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को मूर्ति की पहचान और उसकी बरामदगी में तत्परतापूर्वक सहायता की जबकि भारतीय उच्चायोग ने स्थानीय और भारतीय अधिकारियों के साथ अपेक्षित दस्तावेज तैयार किए। इसी तरह, 2013 में पेरिस में भारतीय दूतावास ने भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी की एक ऐसी ही मूर्ति को बरामद किया था, जो निश्चित तौर पर लोखरी गांव के उसी मंदिर से चुराई गई थी। इस वृषणा योगिनी की मूर्ति को सितंबर 2013 में नयी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया था।
लेखी ने ट्वीट कर जताई खुशी: वहीं इस जानकारी पर संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट कर कहा यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यूपी के लोखरी मंदिर से 1980 के दशक से गायब 10वीं सदी की वृषण योगिनी की अमूल्य मूर्ति को ब्रिटेन से भारत वापस लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार भारत की सांस्कृतिक विरासत और उसके गौरव को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।