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गुजरात के 20 गाँव बनेंगे ‘आयुष ग्राम’, जानिए क्या-क्या फायदे होंगे…

केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) के अंतर्गत गुजरात के 20 गाँवों को ‘आयुष ग्राम’ के रूप में विकसित किया जाएगा। अब इन गाँवों में प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रति लोगों में जागरूकता लाने की दिशा में प्रयास किए जाएँगे।

उल्लेखनीय है कि ‘आयुष’ अर्थात् आयुर्वेद, योग, निसर्गोपचार, यूनानी चिकित्सा पद्धति, सिद्ध व होम्योपैथी उपचार पद्धतियों का समूह है। इसका अर्थ यह हुआ कि एनएएम योजना के तहत चयनित 20 आयुष ग्रामों में लोगों को अंग्रेजी यानी अलोपैथी चिकित्सा पद्धति से इतर प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों की ओर अग्रसर किया जाएगा। गुजरात के चयनित इन 20 गाँवों को आयुष ग्राम बनाने का पहला कार्य अहमदाबाद जिले के शियाळ गाँव से आरंभ कर दिया गया है।

आयुष विभाग की निदेशक भावना पटेल के अनुसार ‘एनएम’ के तहत गाँव निर्वाचित प्रतिनिधियों को गाँव की देखभाल के प्रति संवेदनशील बनाया जाता है। साथ ही ग्रामजनों की दिनचर्या बदलने और आयुष उपचार पद्धतियों को लोगों की जीवनशैली से जोड़ने के प्रयास किए जाते हैं और चयनित 20 ‘आयुष ग्राम’ में यही प्रयास किए जाएँगे। पटेल के अनुसार गुजरात के जिन 20 गाँवों को ‘आयुष ग्राम’ बनाने के लिए चुना गया है, उनमें अहमदाबाद जिले के असलाली, जेतपुर व शियाळ गाँव, गांधीनगर जिले के कोलवडा, नारदीपुर व सादरा गाँव, वडोदरा जिले के दशरथ, सोखडा व वाघोडिया गाँव, भावनगर जिले के नवागाम व कोळियाक गाँव, जूनागढ जिले के मेंदरडा व अजब, सूरत जिले का जोलवा गाँव, राजकोट जिले का खाखीजळिया गाँव, देवभूमि द्वारका जिले का नंदाणा, मेहसाणा जिले का माणसा और बोटाद जिले का ढसागाम गाँव शामिल हैं। इन 20 गाँवों में से 8 गाँवों में आयुष ग्राम प्रकल्प का सोमवार को लोकार्पण किया गया।

अहमदाबाद जिले की बावळा तहसील के शियाळ गाँव को आयुष ग्राम के लिए चयनित किया गया है। सोमवार को शियाळ में आयुष ग्राम प्रकल्प के लोकार्पण के साथ ही इस गाँव के लगभग 8 हज़ार लोग एनएएम का हिस्सा बन जाएँगे। उल्लेखनीय है कि शियाळ पढार जाति बहुल गाँव है। आयुष ग्राम प्रकल्प लोकार्पण के मौके पर अहमदाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्रसिंह चौहाण ने कहा कि आयुष ग्राम के माध्यम से शियाळ गाँव के लोगों को घर बैठे पुरातन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ मिलेगा। वैसे ग्रामीण जनता कई देशी उपचार पद्धतियाँ जानती है, परंतु इसमें अब एनएएम के रूप में संस्थागत आयुष उपचार पद्धति भी हमारी दिनचर्या में पुन:स्थापित करने के लिए स्वर्णिम अवसर बन कर आई है। बावळा तहसीलदार श्री पी. आर. देसाई ने आयुष ग्राम प्रकल्प को ग्रामजनों के लिए संपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक बताया।

क्या है आयुष ग्राम प्रकल्प और उसके फायदे ?

जिला आयुर्वेद अधिकारी एच. एम. जोशी ने आयुष ग्राम प्रकल्प और उसके फायदों की रूपरेखा देते हुए कहा कि इसके तहत शियाळ गाँव में अग्निकर्म चिकित्सा, मर्म चिकित्सा, काय चिकित्सा (हृदय रोग, मधुमेह, दमा आदि), शल्य चिकित्सा (बवासीर-भगंदर आदि), महिला एवं बाल रोग चिकित्सा, चर्म रोग विभाग तथा होम्योपैथी चिकित्सा केन्द्र कार्यरत् किए गए हैं। शियाळ गाँव के 2500 परिवारों को आयुष कार्ड दिए जाएँगे और प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति की पड़ताल कर उसके मुताबिक आहार-विहार का मार्गदर्शन दिया जाएगा। प्राथमिक स्कूल के बच्चों और सभी ग्रामीणों को योग सिखाया जाएगा। अगले एक साल तक नियमित रूप से आयुष चिकित्सा शिविर लगेंगे। इस प्रकार पूरे गाँव को आयुष आधारित सुस्वस्थ बनाने का प्रयास किया जाएगा। आयुष ग्राम प्रकल्प लोकार्पण के साथ ही घरेलू औषधियों-वनस्पतियों के लाभ की जानकारी देने वाली प्रदर्शनी भी लगाई गई है। लोकार्पण के दौरान स्कूली बच्चों ने भवाई के जरिए ग्रामजनों को आयुष चिकित्सा पद्धति के फायदे समझाए। भवाई में नन्हें रंगला-रंगली ग्रामीणों के आकर्षण का केन्द्र बने। साथ ही इन बच्चों ने विभिन्न औषधियाँ प्रदर्शित करने वाली अनूठी शोभायात्रा भी निकाली और आयुष कलश की स्थापना की।

रिपोर्ट— कन्हैया कोश्टी

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