उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के साथ पुलिस ज्यादती के मामले में अब अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। इलाहाबद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और याचीगण के अधिवक्ताओं को अपने पक्ष में हलफनामा आदि दाखिल करने का निर्देश दिया था। जिसपर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि यूपी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान हुई हिंसा में कुल 22 लोग मारे गए हैं और 83 घायल हो गए। वहीं हिंसा फैलाने के आरोप में 883 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें से 561 अब जमानत पर हैं और 322 अभी भी जेल में हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि हिंसा के दौरान 45 पुलिसकर्मी और अधिकारी भी हुए घायल थे। उन्होंने घायलों की सूची भी प्रस्तुत की। यूपी में पिछले साल 20 और 21 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शन किया गया था। मनीष गोयल ने बताया कि घायलों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराई गई। यह कहना गलत है कि एंबुलेंस पर किसी प्रकार की रोक लगाई गई। घायलों को उपचार की पूरी सुविधा दी गई है तथा पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अस्पतालों में जाकर उनका हालचाल भी जाना।
गोयल ने बताया कि बलवा और तोड़फोड़ की घटनाओं के सिलसिले में प्रदेश भर में कुल 883 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें से 561 लोग जमानत पर बाहर आ चुके हैं। 322 लोग अभी भी जेल में हैं, जबकि 111 लोगों की जमानत अर्जिया अदालतों में लंबित हैं।
प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा के मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 8 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, इन शिकायतों की जांच की जा रही है। दो शिकायतें अदालतों में दाखिल की गईं हैं। इस प्रकार से नागरिकों की ओर से पुलिस वालों के खिलाफ कुल 10 शिकायतें प्राप्त हुई जिनकी जांच की जा रही है।