लखनऊ। 41610 कांस्टेबल भर्ती में अनारक्षित वर्ग में महिलाओं की 20 सीटों पर ओबीसी की महिलाओं की नियुक्ति किए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि जनरल की 20 प्रतिशत सीटों का कोटा पूरा करने के लिए 2134 ओबीसी महिलाओं की नियुक्ति कर दी गई क्योंकि सामान्य वर्ग की उतनी महिला अभ्यर्थी नहीं मिल सकी थी।
कांस्टेबल सीटों पर
याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना है कि नियमानुसार महिला आरक्षण की बची कांस्टेबल सीटों पर सामान्य वर्ग के पुरुषों की नियुक्ति की जानी चाहिए। याचिका पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र सुनवाई कर रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि 41610 पदों से 17750 सीटें सामान्य की, 9585 ओबीसी की और 7455 एससी की होती हैं। इसमें यदि महिलाओं का 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का अनुपात देखा जाए तो सामान्य में 3550 और ओबीसी में 1917 सीटें महिलाओं को मिलनी चाहिए। मगर पुलिस भर्ती बोर्ड ने सामान्य वर्ग में 20 प्रतिशत महिलाओं का कोटा पूरा करने के लिए ओबीसी की महिलाओं की नियुक्ति कर दी।
यह नियमानुसार गलत है क्योंकि आरक्षित वर्ग का क्षैतिज आरक्षण उसी वर्ग में दिया जा सकता है। अधिवक्ता का कहना है कि मौजूदा अनुपात में आरक्षण 50 प्रतिशत के निर्धारित कोटे से ज्यादा हो रहा है जो कि इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के विपरीत हैं। इस मामले पर 19 अगस्त को सुनवाई होगी।