लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता को प्रति व्यक्ति आय का बढना बताकर गुमराम कर रहे हैं क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष नये जन्म लेने वाले बच्चे तक पर कर्ज का बोझ 1340 बढ गया है। प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना जी ने 512 लाख करोड का बजट पेश किया है और ऐतिहासिक बजट की संज्ञा दी है जबकि वास्तविकता यह है कि उप्र पर 516 लाख करोड का कर्ज है। ऐसी स्थिति में भी मुख्यमंत्री का यह कहना सरकार वित्तीय अनुशासन का पालन कर रही है बढा ही हास्यास्पद है।
मसूद अहमद ने कहा कि प्रस्तुत बजट के अनुसार प्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर 22442 रूपये का कर्ज लदा हुआ है जोकि पिछले साल की तुलना में 1340 रूपये अधिक है। अतः यह कहना अधिक प्रासंगिक होगा कि योगी सरकार का यह ऐतिहासिक बजट का कर्ज यूपी की 23 करोड जनता पर बोझ है। यदि सही आकडे देखे जाये तो योगी सरकार में वर्ष 2018-19 में प्रति व्यक्ति ऋण 19239 रूपये था जोकि 2017-18 में लगभग 18476 रूपये था।
2017 में भाजपा सरकार के गठन के बाद एक साल में ही यह कर्ज 1676 रूपये बढ गया था। यह कर्ज बढते बढते अब 22442 रूपये हो गया हे। प्रदेष की प्रगति कर्ज के रूप में भी ऐतिहासिक बन रही है। प्रदेश में एक ओर बेरोजगारी लगातार बढती जा रही है तो दूसरी ओर प्रदेष के प्रत्येक व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढाने में सरकार कोई कोताही नहीं कर रही है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकारी खर्चो की कटौती करके यदि सरकार ने कर्ज का बोझ कम किया होता तो इसे सरकर की उपलब्धि माना जाना सकता था लेकिन इस सरकार ने कर्ज की अधिकता के साथ साथ प्रदेश को बेरोजगारी, अराजकता, साम्प्रदायिक उथल पुतल तथा महिलाओं की असुरक्षा और कानून व्यवस्था की पंगुता के अतिरिक्त कुछ नहीं दिया है।