अपने भारत दौरे से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कम करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप के दौरे से ठीक पहले व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को जोर देते हुए कहा कि दोनों पड़ोसियों(भारत और पाकिस्तान) के बीच कोई सफल वार्ता तभी संभव होगी, जब पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवादियों और चरमपंथियों के खिलाफ शिकंजा कसेगा।
गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। भारत के फैसले ने पाकिस्तान से तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कीं, जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम किया और भारतीय दूत को पाकिस्तान से वापस भेज दिया।
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी से जब सवाल किया गया कि क्या ट्रंप अपनी आगामी भारत यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर फिर से मध्यस्थता करने की पेशकश करेंगे, इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आप राष्ट्रपति से जो सुनेंगे, वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते है।’
ट्रंप ने दिया था मध्यस्थता का प्रस्ताव
बता दें, ट्रंप ने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद को सुलझाने में मदद करने की पेशकश करते हुए कहा था कि अमेरिका, कश्मीर पर दोनों देशों(भारत-पाकिस्तान) के बीच हुए घटनाक्रम को बहुत करीब से देख रहा था। ट्रंप ने पिछले दिनों कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने अमेरिका को यह साफ कर दिया था कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच का एक द्विपक्षीय मामला है और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।
व्हाइट हाउस के अधिकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच किसी भी सफल वार्ता के मूल आधार पर अपना विश्वास जारी रखना चाहते है। लेकिन यह वार्ता पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर नकेल कसने के प्रयासों पर आधारित है।’
FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान बरकरार
व्हाइट हाउस की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में चार महीने और बनाए रखने के साथ ही ग्लोबल एंटी-टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग की कड़ी चेतावनी मिली है। पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ 27 कार्य बिंदुओं के तहत कार्रवाई के लिए सिर्फ तार महीने का समय मिला है। अगर पाकिस्तान ने जून 2020 तक आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तो उसे FATF की ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया जाएगा।