कोरोना वायरस से इटली में क्या हालत इतनी ख़राब हो गई है कि यह कहा जाए कि पीड़ित व्यक्ति को मरने के लिए छोड़ दिया जाए? एक रिपोर्ट है कि इटली के एक शहर के मेयर ने शिकायत की है कि डॉक्टरों को जबरन यह कहा गया है कि ज़्यादा बुजुर्ग लोगों का इलाज नहीं किया जाए और उन्हें मरने दिया जाए। एक अन्य शहर से रिपोर्ट है कि कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों में न्यूमोनिया होने के बाद उन्हें घर भेजा जा रहा था। तो क्या इटली से कोरोना वायरस नहीं संभल रहा है?
जब भारत में कोरोना वायरस पॉजिटिव के कुछ गिने-चुने केस ही आए थे तब भारत आए एक साथ इटली के 16 पर्यटकों में इसकी पुष्टि होने पर पूरा देश सहम गया था। इसके साथ ही भारत में कोरोना वायरस पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़कर 28 हो गई थी और अब यह संख्या बढ़कर 83 हो गई है। अब उसी इटली में इस वायरस का कहर ऐसा है कि फ़िलहाल सबसे ज़्यादा पॉजिटिव केस इटली में ही हैं। चीन से भी ज़्यादा। चीन में जहाँ फ़िलहाल क़रीब 12 हज़ार पॉजिटिव केस हैं तो इटली में क़रीब 15 हज़ार लोग इससे पीड़ित हैं। हालाँकि चीन में कुल पॉजिटिव केस 80 हज़ार से ज़्यादा आए, लेकिन इनमें से 65 हज़ार से ज़्यादा लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। जबकि इटली में कुल मामले 17 हज़ार से ज़्यादा हैं और 1200 से ज़्यादा लोग ठीक हो गए हैं। इटली में कोरोना वायरस का खौफ ऐसा है कि लोगों का घर से निकलना भी दूभर हो गया है। सरकार की तरफ़ से सख्त पाबंदी लगाई गई है।
विकसित देशों में गिने जाने वाले इटली की ऐसी हालत क्यों है? वह भी तब जब माना जाता है कि विकसित देशों में स्वास्थ्य व्यवस्था अपेक्षाकृत बेहतर होती है और स्वास्थ्य सुविधाएँ भी। ऐसा भी माना जाता है कि कोरोना वायरस जैसी आपातकालीन स्थिति से निपटने में ऐसे देश बेहतर साबित होते हैं। जब चीन जैसे देश ने कोरोना वायरस से काफ़ी अच्छे से निपटा है वहीं इटली ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा है?