मध्य प्रदेश का सियासी बवाल अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा। आज एक बार फिर बहुमत परीक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. भारतीय जनता पार्टी के नेता शिवराज सिंह चौहान ने अदालत से जल्द फ्लोर टेस्ट करवाने की गुहार लगाई है। बुधवार की सुनवाई में SC ने MP विधानसभा स्पीकर पर कड़ा रुख अपनाया और 16 विधायकों के इस्तीफे ना स्वीकारने का कारण पूछा। अदालत से इतर भोपाल और बेंगलुरु में भी MP का सियासी ड्रामा अपने चरम पर है।
बता दें कि स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा विधायकों के इस्तीफे को लेकर समय देने की बात पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट जल्दी कराना जरूरी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर सकती है। वकील सिंघवी ने यह भी कहा कि विधायक बंधक है, दिग्विजय सिंह मिलने गए थे, लेकिन नहीं मिल सके।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि क्या स्पीकर वीडियो लिंक के जरिए बागी विधायकों से मिलेंगे और फिर फैसला करेंगे? इस पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि वो ऐसा नहीं कर सकते। वहीं मध्य प्रदेशस्पीकर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एएम सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कृपया मुझे फैसला करने के लिए दो सप्ताह का समय दें। बागी विधायकों को मध्य प्रदेश, उनके घरों में वापस आने दें। एएम सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी विधानसभा स्पीकर के विवेक को निरस्त नहीं कर सकता है।
बता दें कोर्ट में बीजेपी और कांग्रेस के वकीलों में कई बार गरमागरम बहस भी हुई। भाजपा के वकीलों ने सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था। दूसरी ओर, भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत कर आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता विधायकों को डराने की कोशिश कर रहे हैं।