पूर्व पुलिस महानिदेशक व अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल का प्रकृति प्रेम प्रभावित करने वाला है। कुछ समय पह ले उन्होंने एक भेंट में बताया था कि बागवानी व कृषि में उनकी बेहद दिलचस्पी रही है। पुलिस सेवा की व्यस्तता में भी वह जहां रहे ,बागवानी के लिए वह समय निकाल लेते थे। इससे उनको ऊर्जा मिलती है। कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। उनकी बातों से लगा कि उनको वगवानी व कृषि की गहन जानकारी भी है। आमतौर पर जन पौधों के आमलोग नाम भी नहीं जानते,उनकी पूरी जानकारी बृजलाल जी को है।
इतना ही नहीं वह इन सभी पौधों के रोपण का उपयुक्त समय भी जानते है। कब कितनी खाद,पानी,धूप चाहिए,यह भी उनको पता है। किस मौसम में कौन सा फूल खिलेगा, सामान्य स्थिति में वह कितने समय खिला रहेगा,यह भी उनको पता है। उनके यहां ब्रम्ह कमल सहित अनेक दुर्लभ पौधे भी है। वह इसके लिए जैविक विधि का ही उपयोग करते है। उनके गोमतीनगर स्थित आवास में आगे व पीछे बड़ा लॉन है। सामने लॉन में इस समय स्टैंडर्ड रोज़, डहेलिया,सल्विया, बेला सौंदर्य बिखेर रहे है। डोरेंटा की हेज़ है। जिसकी कटाईं छँटाई वह स्वयं करते है। मुरझाये फूलों को हटा देते है। जिससे नयी कोंपलें व फूल शीघ्र आ जाते है।
उन्होने बताया कि घर के सामने एलडीए के पंद्रह हज़ार वर्ग फुट ग्रीन बेल्ट में बाग लगा दिया है। यह कार्य उंन्होने समाज की भलाई के लिए किया है। वह जलवायु संरक्षण के लिए पौधरोपण को अपरिहार्य मानते है।
ग्रीन बेल्ट में आम, कटहल, अमरूद, नींबू, मुस्समी, अनार, आड़ू, नाशपाती, बारहमासी सहजन, बेल, जामुन, अम्बर, कमरख, थाईलैंड का रोज़ ऐपल, पपीता, हाजीपुर बिहार के चीनियाँ, कर्नाटक के इलायची और तमिलनाडु के लाल केले फल दे रहे है। किनारों पर हरसिंगार,दिन का राजा चाँदनी, अमलतास, बुद्धा बांस, बॉटल ब्रश केना के फूलों को लगा रखा है।
बीच की ख़ाली जगहों में लौकी, करेला, सेम, टमाटर, खीरा, तरबूज़ा, ख़रबूज़ा, पालक, लाल हरी चौलाई, कुल्फ़ा साग तुरई, हरी धनिया, पुदीना, वैगन, बारहमासी बथुआ, परवल आदि लगा रखा है। सैकड़ो गमलों में हर क़िस्म के फूल है। बृजलाल कहते है कि माली और घर के सहायकों के साथ इन सब की देख रेख में काफ़ी समय आनंदपूर्वक निकलता है।
रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री