लखनऊ। नगरीय निकाय चुनाव में लखनऊ के महापौर पद पर त्रिकोणीय मुकाबला देेेखने को मिल रहा है। इसमें समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा वर्धन का खेमा व्यापारी नौजवान और पुराने समाजवादी लोगों के मिलने से आगे निकलने का दावा कर रहा है। बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली लखनऊ महापौर की सीट पर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा वर्धन के मैदान में उतर आने से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। इसमें समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा वर्धन के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मैदान में उतरने से शुरू से ही उनकी स्थिति अच्छी दिख रही है।
प्रख्यात समाजवादी चिंतक विचारक आचार्य नरेन्द्र देव की पौत्र वधू मीरा वर्धन हालांकि पार्टी और राजधानी की जनता के लिए नया चेहरा है, लेकिन बड़े राजनीतिक घराने के साथ-साथ भाजपा से लोगों की नाराजगी का लाभ भी उन्हें मिलता उन्हीं को दिख रहा है। हालांकि अन्य दो पार्टियों की महिला उम्मीदवारों ने इस मुकाबले को थोड़ा रोचक बना दिया है। उधर कांग्रेस चुनाव से पूर्व ही अपनी हार मानकर बैठ गई है, जबकि बसपा प्रत्याशी पहले से ही इस सीट को खुद के लिए दूर की कौड़ी मानती है शुरू से ही उसकी चुनौती महज लड़ाई में शामिल होने की रही है। इस लिहाज से देखा जाए तो राजधानी में मेयर पद के लिए तो मुकाबला सपा-भाजपा के बीच ही दिख रहा है।
सपा-बीजेपी में सीधा मुकाबला
लखनऊ में नगर निगम के 110 वार्ड हैं जिसमें राजनीतिक दलों का रोमांचक मुकाबला देखा जा रहा है। कहीं भाजपा से सपा तो कहीं सपा से भाजपा और कहीं-कहीं पर बसपा और निर्दल प्रत्याशी एक दूसरे को चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं। किसी वार्ड में सपा और भाजपा का सीधा मुकाबला देखा जा रहा है तो कहीं पर भाजपा की ही लहर है। कुछ वार्डों में समाजवादी खेमा काफी मजबूत दिखाई पड़ रहा है।
संयुक्ता भाटिया ने बदला समीकरण
अगर सच पूछा जाए तो समाजवादी पार्टी से मीरा वर्धन को उम्मीदवार बनाये जाने के साथ ही समाजवादी के पक्ष में शुरुआत से ही माहौल बनता दिख रहा था लेकिन उस बने बनाये माहौल को भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया ने मैदान में उतर कर पूरी तरह से बदल दिया।संयुक्ता भाटिया को बीजेपी से प्रत्याशी बनाये जाने के बाद से ही व्यापारियों का खेमा भी दो धड़ों में बंट गया है,जिसमें से राजधानी में सक्रिय कुछ व्यापार मंडल बीजेपी को अपना खुला समर्थन दे रहे हैं। सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होता देख तीसरे पायदान पर आने के लिए बसपा,कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जद्दोजहद कर रहे हैं।