रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ। कोरोना के कारण बहुत कुछ पहली बार हो रहा है। पहली बार उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। इसमें विचार का एक मात्र मुद्दा कोरोना ही था। कोरोना आपदा राहत के लिए आर्थिक संसाधन बढ़ाने पर निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने चार प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की। पहले प्रस्ताव के अनुसार मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों,विधानसभा व विधान परिषद सदस्यों के वेतन का तीस प्रतिशत केयर फंड में जायेगा।
इसी के साथ विधायक निधि योजना के अस्थाई स्थगन का निर्णय लिया है। बजट में विधायक निधि को तीन करोड़ रुपए करने का निर्णय हुआ था। जिसे अब आवश्यकतानुसार कोरोना महामारी से निपटने में व्यय किया जाएगा। इस धनराशि का उपयोग कोरोना आपदा राहत में किया जाएगा। इसमें चिकित्सा सुविधा, चिकित्सा उपकरण,गरीबों को आर्थिक सहायता, दैनिक उपयोग की आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना आदि शामिल है।
इसके लिए राज्य सरकार के पास पर्याप्त आर्थिक संसाधन उपलब्ध होना अत्यन्त आवश्यक है। कोविड नाइन्टीन के कारण चिकित्सा क्षेत्र में विपरीत परिस्थितियों पैदा हुई है। लोगों को विशेष चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए सरकार व्यापक व्यवस्था कर रही है। इस पर अपेक्षित धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। सरकार इस कार्य में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसके लिए वह समय रहते धन की व्यवस्था कर लेना चाहती है। इसके अलावा भविष्य के लिए भी चिकित्सा के क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इसके तहत अवस्थापना सुविधाओं का निर्माण, इससे सम्बन्धित अनुसंधान कार्याें,विश्व स्तरीय विशेषज्ञ संस्था की स्थापना आदि पर कार्य करने की आवश्यकता है।
विधायक निधि की धनराशि से यह सभी कार्य किये जायेंगे। उत्तर प्रदेश आकस्मिकता निधि की वर्तमान सीमा छह सौ करोड़ को दोगुना किया गया है। कैबिनेट ने इसे बारह सौ करोड़ रुपए किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। विभिन्न स्तरों पर आवश्यक उपकरणों के क्रय तथा प्रभावित व्यक्तियों हेतु क्वारेन्टाइन कैम्प, खाद्य पदार्थ, चिकित्सीय सुविधा तथा अन्य कारकों के निवारण हेतु धनराशि की कमी होने अथवा बजट व्यवस्था न हो पाने की स्थिति में राज्य आकस्मिकता निधि से तात्कालिक रूप से धनराशि उपलब्ध कराया जाना अपरिहार्य होगा। कैबिनेट के निर्णय इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर किये गए है।