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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से….कोरोना का खूनी पंजा पड़ा ढीला!

आज जब मैं चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा। तब चतुरी चाचा कोरोना महामारी और लॉकडाउन में रबी फसल की कटाई-मड़ाई पर मुंशीजी व कासिम मास्टर से बातें कर रहे थे। चतुरी चाचा प्रपंच चबूतरे पर सामाजिक दूरी और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं। आज भी चबूतरे के चारों तरफ दूर-दूर कुर्सियां पड़ी थीं। एक किनारे बाल्टी में पानी, मग, साबुन और सेनिटाइजर रखा था। चाचा के सख्त नियम के चलते सभी प्रपंची साबुन से हाथ-पैर धोकर ही कुर्सियों पर विराजमान होते हैं। सबको मास्क पहने रहने की भी अनिवार्यता रहती है। इधर, कई इतवार से पूरा प्रपंच कोरोना महामारी, लॉकडाउन, तब्लीगी जमाती और रबी फसल पर ही केंद्रित है।

प्रपंच चबूतरे पर मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा बोले-आओ रिपोर्टर, कुछ नया-ताजा सुनाओ। आखिर कोरोना महाब्याधि से मुक्ति कब, कैसे मिलेगी? कोरोना से हो रही मौतों का सिलसिला आखिर कब रुकेगा? सारी दुनिया इस महामारी से व्याकुल है। भारत में भी लॉकडाउन के बावजूद कोरोना दबे पांव फैलता जा रहा है। बस, गनीमत यही है कि अपने देश में कोरोना दूसरे देशों की तरह हाहाकार नहीं मचा पाया है। प्रधानमंत्री मोदी जी व यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी रियल हीरो बन गए हैं। देश के कोरोना योद्धाओं ने भी अहर्निश सेवा का इतिहास रच दिया है। अब देखो न, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। उनका वहीं निधन हो गया। बाद में ऋषिकेश में उनका अंतिम संस्कार हुआ। परन्तु, योगी जी अपने पिता के अंतिम दर्शन करने नहीं गए। वह लखनऊ में निरन्तर लोगों को कोरोना से बचाने में जुटे रहे। वहीं, तब्लीगी जमात से जुड़े जाहिल लोग अभी भी तरह-तरह की मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।

हमने कहा- चाचा, चीन से निकले कोरोना ने अबतक दुनिया भर में दो लाख से ज्यादा लोगों को बेमौत मार चुका है। वहीं, 28 लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हैं। अमेरिका, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, ब्राजील, रूस, तुर्की व पाकिस्तान सहित अन्य तमाम देशों में मौतों का सिलसिला जारी है। अबतक अकेले अमेरिका में ही 51 हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। वहीं, भारत में अभी तक करीब 800 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। हिन्दुस्तान में तकरीबन 25 हजार लोग कोरोना से पीड़ित हैं। भारत की 135 करोड़ आबादी को देखते हुए यह आंकड़ा संतोषजनक है। भारत में सही समय पर लॉकडाउन हो जाने के कारण कोरोना का खूनी पंजा ढीला है। अगर तब्लीगी जमात के जाहिल गड़बड़ न करते तो शायद अबतक कोरोना यहाँ से भाग खड़ा होता।


इसी दौरान ककुवा एवं बड़के दद्दा की जोड़ी आ गयी। तभी चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी और गिलोय का काढ़ा लेकर आ गयी। चंदू बिटिया भी चेहरे पर मास्क लगाए थी। वह कोरोना को लेकर बहुत जागरूक है। एक खाली कुर्सी पर पानी और काढ़ा रखकर फुर्र हो गयी। सब लोगों ने पानी पीने के बाद काढ़ा पीना शुरू किया। बड़के दद्दा ने प्रपंच को आगे बढ़ाते हुए कहा- कोरोना ने जीने और सोचने का तरीका बदल दिया है। पूरी दुनिया अब भारत की सनातन संस्कृति, जीवनशैली, परंपरा व खानपान को अपनाने की सोच रही है। क्योंकि, वायरस जनित लाइलाज/जानलेवा महामारी से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और दृढ़ इच्छाशक्ति ही कारगर है। भारतीय जीवनशैली से यह दोनों चीजें स्वत: ही मिलती है। बहरहाल, भारत ही कोरोना पर विजय हासिल करेगा। निकट भविष्य में भारत एक बार फिर विश्व गुरु की भूमिका दिखाई पड़ेगा।

ककुवा बोले- ई कुरौना हवा मा उड़ि रही मानव जाति का घुटननप लय आवा हय। अब सारी दुनिया मिलि बैठिक सोचय अउ परकृति से खेलब बन्द करय। प्राकृतिक संसधानन केर अंधाधुंध दोहन होय रहा हय। कोई नदियां बाँधि रहा। कोई पहाड़ खोदि रहा। कोई समंदर मथि रहा। कोई अंतरिक्ष मा उछलकूद कय रहा। वन कटि रहे। कंकरीट केरे जंगल बढ़ि रहे। भौतिक सुख-साधन केरी खातिर धरती का तहस-नहस कय रहे। हर चीज केरी याक सीमा होत हय। अब सारी सीमा खत्म होय गय। तबहें तौ हालाडोला, सूखा, बाढ़, तूफान औरु याक ते याक महामारी आवय लागि हयँ। खैर, हम पुरिखन केरी तौ कोई सुनतै नाय हय। देखौ ई चाउमीन-पिज्जा वाली नइकी पीढ़ी का करत हय?

बहुत देर से सबको सुन रहे कासिम चचा बोले- जुम्मे के दिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश भर के पंचायत प्रतिनिधियों से बात की थी। पीएम ने सबको पंचायतराज दिवस की बधाई देने के साथ माह-ए-रमजान की भी बधाई दी थी। मोदी जी ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए ग्रामीणों ने “दो गज की दूरी” वाला बहुत बढ़िया मंत्र दिया है। उन्होंने ई ग्राम स्वराज पोर्टल और ग्रामीण सम्पत्ति स्वामित्व योजना का शुभारंभ भी किया। मोदी जी हमेशा भारत के 130 करोड़ लोगों की बात करते हैं। वह हिन्दू-मुस्लिम सबको साथ लेकर चल रहे हैं। वहीं, भाजपा के कुछ लोग तब्लीगी जमातियों के बहाने मुस्लिम समाज को निशाने पर ले रहे हैं। यह बात तकलीफदेह है। क्योंकि, कोरोना की जंग में आम मुसलमान भी पूरी ताकत से लड़ रहा है। तभी मेरे घर से फोन आ गया। मैंने तुरन्त प्रपंच चबूतरा छोड़ दिया। मैं अगले रविवार को प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पांचव राम-राम।

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

_नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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