रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
लॉक डाउन ने मानव जीवन की अनेक गतिविधियों को प्रभावित किया है। इसका प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र में भी परिलक्षित है। अनलॉक के पहले चरण में भी शिक्षक संस्थानों को छूट नहीं मिली है। यह सर्वथा उचित भी है। क्योंकि सोशल डिस्टेनसिंग पर अमल के साथ क्लास संचालित करना असंभव है। ऐसे में फिलहाल ऑनलाइन शैक्षणिक गतिविधियां ही चलाई जा रही है। लखनऊ में राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल ने भी इस परिवर्तन को सकारात्मक रूप में संचालित करने का सुझाव दिया था। लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा समय समय पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बेबीनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें अनेक उपयोगी तथ्य निकल कर आ रहे है। इसमें अनेक विशेषज्ञ अपने विचार व्यक्त कर रहे है। विश्वविद्यालय के विधि संकाय के द्वारा पिछले दिनों क्वेस्ट फॉर वर्ल्ड पीस इन ट्वेंटिफर्स्ट सेंच्युरी विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन अखिल भारतीय बार काउंसिल एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा न्यायविदों की अंतर्राष्ट्रीय परिषद, लंदन के अध्यक्ष डॉ. आदिश चंद्र अग्रवाल ने किया था। उन्होंने कहा कि यह एक अलग प्रकार का मुद्दा है जिसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है।
विश्व के विकसित और विकासशील देशों की गिरती हुई अर्थव्यस्था पर भी विचार आवश्यक है। अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए जा रहे आरोप तर्कसंगत है। यदि चीन समय पर डब्ल्यू एचओ को इस बीमारी से अवगत करा देता तो यह महामारी पूरे विश्व के लिए संकट न बनती। चीन ने छः हफ्ते देरी से डब्ल्यू एच ओ को इस बीमारी से अवगत कराया। जबकि वुहान में पहला केस दिसंबर में पाया गया था। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्युरिडिकल साइंसेस, कोलकाता के सहायक प्रो विजय किशोर तिवारी ने ह्यूमन सेक्योरिटी आर टु पी एंड द क्वेशचन ऑफ़ वर्ल्ड पीस: अ व्यू फ्रॉम थर्ड वर्ल्ड विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। कहा कि वर्तमान परिदृश्य में शांति वांछनीय है लेकिन हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें किस प्रकार की शांति मिल रही है। लिबरल पीस मॉडल ने खुद को एक शांति निर्माण परियोजना के रूप में परिभाषित किया है। इस मॉडल को न केवल सैन्य हस्तक्षेप बल्कि अंतरराष्ट्रीय नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं की भी आवश्यकता है। कोई राष्ट्र सुशासन और उदार संविधानआदि के धरातल पर फेल हो रहा है, तो वह राष्ट्र संप्रभु नही बन सकता। अमेरिकी राजनीतिक अर्थशास्त्री और लेखक योशीहिरो फ्रांसिस फुकुयामा की किताब द एंड ऑफ हिस्ट्री एंड द लास्ट मैन लिबरल डेमोक्रेसी पर लिखा गया। उपनिवेशवाद पारंपरिक ज्ञान को नुकसान पहुंचता है। मानव सुरक्षा के संबन्ध में दो दृष्टिकोणों है। एक संकीर्ण,जो कनाडा सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह व्यक्ति को हिंसक आलोचकों से बचाने की बात करता है। दूसरा व्यापक है जो इस तथ्य पर केंद्रित है कि मानव प्रतिभूतियों की स्वतंत्रता में भय से स्वतंत्रता और अपनी ओर से कार्रवाई करने की स्वतंत्रता भी शामिल होनी चाहिए।
पोस्ट कोविड युग में गैर क्षणिक आंदोलन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ भानु प्रताप ने लीगल मोनिस्म एंड वर्ल्ड पीस विषय पर विचार व्यक्त किये। लीगल मोनिस्म को सबसे उपेक्षित सिद्धांत है। लीगल मोनिस्म प्योर थ्योरी ऑफ लॉ से जुड़ा हुआ है। यह एक नया दृष्टिकोण था। प्योर थ्योरी ऑफ लॉ इमैनुएल कांत की क्रिटिक ऑफ प्योर रीज़न से आया है। केल्सन का विचार था कि नगरपालिका कानून और अंतर्राष्ट्रीय कानून को दो अलग अलग पहलुओं के रूप में अंतर करके हम विश्व शांति स्थापित नहीं कर सकते हैं। विश्व शांति स्थापित करने के लिए लीगल मोनिस्म नामक एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है। प्रो राकेश सिंह ने प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये आत्मनिर्भरता के स्लोगन को महान बताया। कोई भी देश कोरोना महामारी से अकेले लड़ने में सक्षम नहीं है। इसलिए हम सभी को सर्वसम्मति से लड़ना होगा। जिसके लिए सभी राष्ट्र को शांत रहने और विश्व शांति स्थापित करने की कोशिश करने की आवश्यकता है। वेबिनार के समापन अवसर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के एडवोकेट राहुल अग्रवाल ने भी अपने विचार साझा किये। विधि संकाय के डीन प्रो सी पी सिंह ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य का एक ज्वलंत मुद्दा है। विश्व के सभी देश इस भयावह महामारी से जूझ रहे हैं। प्रदूषण,आतंकवाद तेल के बढ़ते दाम तथा हथियारों पर अन्य देशों द्वारा किये जा रहे अत्यधिक खर्च को विश्व शांति के लिए खतरा है। स्वाति सिंह परमार ने यूज ऑफ लॉ इन इंटरनेशनल पीस कीपिंग विषय पर विचार व्यक्त किये। सरकार को शांति की ऑन दी स्पॉट कार्रवाई के बारे में सोचना चाहिए। नकारात्मक और सकारात्मक शांति पर विचार होना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति व कानूनी अधिकारों, राजनीतिक हितों की भी जानकारी अपेक्षित है। संयुक्त राष्ट्र का चार्टर अंतरराष्ट्रीय शांति की गारंटी देता है। इसके कई आर्टिकल है। प्रो मानुका का खन्ना ने रोल ऑफ सुपर पॉवर्स इन रेसॉल्विंग कॉंफ़्लिकट विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। वेबिनार के आयोजन सचिव विधि संकाय विवि के प्रो मोहम्मद अहमद ने सभी अतिथि वक्ताओं का अभिनंदन किया तथा विषय पर अपने विचार प्रकट किये। दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो राकेश चंद्र ने रेविज़िटिंग पेरपेचुअल पीस विषय पर विचार व्यक्त किये। दर्शनिक स्कूल का मानवता के साथ संबंध है। मनुष्य अब वह जीव नही रह गया जो दूसरों के लिए जीवित रहे। भविष्य के अच्छा या अनुकूल होने का भाव आज के समाज में नहीं रह गया है। डॉ प्रशांत शुक्ला ने द नोशन ऑफ वर्ल्ड पीस इन क्लासिकल ग्रीक थाट्स अ क्रिटिकल एक्सपोजिशन ऑफ़ प्लेटोज़ पोजिशन विषय पर विचार व्यक्त किए। वर्तमान परिदृश्य में जब कोरोना महामारी और लॉकडाउन को लेकर इतना बहस और विवाद है, लोग विश्व शांति के लिए तरस रहे हैं। इस वेबिनार के आयोजन में विधि संकाय विवि के छात्र अध्यक्ष सक्षम अग्रवाल,छात्र संयोजक सचिन वर्मा,छात्र सह संयोजक विनय यादव तथा दिव्यांशु चतुर्वेदी, छात्र समन्वयक शिशिर यादव तथा शिखर सिंह ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।