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भारतीय किसान यूनियन ने दी 10 सितंबर को मवेशियों के साथ विधान भवन घेरने की चेतावनी

लखनऊ। एक तरफ किसान यूरिया की कालाबाजारी,गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं होने, आवार पशुओं से फसल को नुकसान जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं दूसरी तरफ योगी सरकार के अधिकारी किसानों की परेशानियों की तरफ से आंख मूंदे बैठे हैं। यहां तक की जिम्मेदार सरकारी अधिकारी/कर्मचारी और पुलिस कर्मी के फोन तक यह लोग नहीं उठाते हैं। इससे नाराज भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) ने उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान नहीं होने पर 10 सितंबर को किसान अपने मवेशियों के साथ विधान भवन के बाहर डेरा डाल देंगे।

भारतीय किसान यूनियन ने सरकारी मशीनरी की टालमटोल की नीति पर नाराजगी जाहिर करते हुए मांग की है कि यदि जिला प्रशासन व पुलिस थाने से लेकर कप्तान तक के लोग आम जनता का फोन नहीं उठाते है तो ऐसे भ्रस्ट अधिकारिओ के सरकारी मोबाइल तत्काल सरकार बंद करे और इस अधिकारिओ को अपने निजी पैसे से फोन रखने को कहा जाये, किसान यूनियन ने मांग की है कि हमें साफ-साफ बताया जाए कि ये अधिकारी कब और किस समय जनता का फोन उठाएंगे। भाकियू ने इस समस्या का समाधान सरकार 10 सितम्बर से पहले ही करने की मांग करते हुए कहा है कि उनकी मांगे समय रहते नहीं सुलझाई गईं तो 10 सितंबर को भाकियू के नेृतत्व में किसान विधान सभा पर अपने मवेशिओं के साथ प्रदर्शन को मजबूर हो जाएंगे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने बताया कि की लखनऊ में हुई भाकियू की बैठक में एक मत से किसानों ने कहा कि  यूरिया की कालाबाजारी,गन्ना  भुगतान न होने,आवारा पशुओ से नुकसान,मोटर साइकिल पर मास्क न लगाने वालो से की जा रही अवैध वसूली ,थाने से लेकर कमिश्नर तक के ऑफिस में बिना पैसे के काम नहीं हाने के चलते किसान दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो गया है। अदालत में नायब तहसील दार, तहसीलदार,उपजिलाधिकारी, जिला अधिकारी और मंडलायुक्त उन्ही मुकदमो को सुनते है जिसमे पीड़ित पैसे दे देता है। अन्यथा किसी भी परेशान वयक्ति का काम नहीं हो रहा है। ब्लॉकों में व्याप्त भ्रस्टाचार, सहकारी विभाग, उद्यान विभाग, कृषि विभाग जो गरीब जनता से सम्बंधित सब जगह एक जैसे हालात हैं। सूडा, डूडा ब्लॉकों द्वारा ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधाओं में बिना पैसे के किसी भी वयक्ति के काम नहीं हो रहे है। साधन सहकारी समिति से लेकर ग्रामीण बैंक और जितने भी बैंक है किसी भी वयक्ति/किसान का काम बैंको में जैसे कृषि ऋण लेना पशु ऋण लेना टेड़ी खीर हो गया है।

किसान सम्मान निधि में जिस तरीके का भ्रषटाचार हो रहा है,वह किसी से छिपा नहीं है। इन तमाम बातो को लेकर हम 10 सितंबर को विधान भवन और लोक भवन के गेट के सामने बैठ कर सरकार और उनके अधिकारियों से सवाल पूछेगें कि आखिर प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री के सहयोगी अधिकारी अगर भ्रस्ट नहीं है तो किसानों और जनता के काम क्यों नहीं हो रहे हैं। भाकियू नेताओं का कहना था  कि किसान यह भी जानना चाहता है कि प्रदेश में धान की खरीददारी के कितने क्रय केंद्र खोले जायेगे और कहा-कहा खोले जायेगे।

रिपोर्ट-अजय कुमार

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