लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने देश की चरमराती हुयी अर्थव्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि वर्ष की प्रथम तिमाही में जीडीपी का माईनस 23.90 प्रतिषत होना देश के लिए गम्भीर परिणाम होने के संकेत हैं। उन्होंने कहा कि इस गिरती हुयी विकास दर को कोरोना काल से जोड़ना तर्कसंगत नहीं होगा क्योंकि हमारे देश का आर्थिक ढांचा नोटबंदी के समय से ही चरमराना प्रारम्भ हो गया था।
डाॅ. अहमद ने कहा कि असंगठित क्षेत्र की स्थिति लगातार सोचनीय होती चली जा रही है और केन्द्र सरकार अथवा प्रदेश सरकार केवल भाषण और आकड़ो का मरहम लगाकर इतिश्री कर लेती है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार कृषि क्षेत्र में विकास दर बीते वर्ष 3 प्रतिषत रही थी जो इस 3.4 प्रतिषत रही है, लेकिन निर्माण क्षेत्र की दर 3 प्रतिषत की तुलना में 0 से भी 39.03 प्रतिशत नीचे पहुंच गयी है।
खनन, व्यापार, संचार, ऊर्जा, सेवा, परिवहन सहित सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट आयी है। ऑटोमोबाइल सेक्टर, रियल स्टेट सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर के साथ साथ आवागमन के साधन भी धराशायी हो चुके हैं। केवल कृषि क्षेत्र के सेक्टर को हमारे देश के किसानों ने अपने कठिन परिश्रम के फलस्वरूप बचा लिया है। कृषि क्षेत्र के अतिरिक्त कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं है जिसकी विकास दर आजाद भारत के इतिहास में निम्न स्तर पर न पहुंच गयी हो।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि डबल इंजन की सरकारे इस गिरती हुयी अर्थव्यवस्था के लिए कोविड-19 को ही दोषी ठहरा रही हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि सरकारों की गलत नीतियों ने देश को अन्दर ही अन्दर खोखला कर दिया है जिसके परिणाम धीरे धीरे आम जनता के सामने आना शुरू हो गये हैं। उन्होंने कहा कि यदि अब भी तत्काल प्रभाव से प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो यहां की जनता को गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।