समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाथरस की गैंगरेप एवं दरिंदगी की शिकार एक बेबस दलित बेटी के दम तोड़ देने की घटना पर दुःख एवं शोक व्यक्त करते हुए उसको नम आंखों से भावभीनी पुष्पांजलि दी। उन्होंने कहा कि आज की असंवेदनशील सत्ता से अब कोई उम्मीद नहीं बची है। बहन-बेटियों के परिवारों के लिए भाजपा का यह दुर्भाग्यपूर्ण शासनकाल है।
हाथरस की दर्दनाक घटना का संज्ञान लेते हुए पूर्व केन्द्रीयमंत्री रामजीलाल सुमन जब पीड़ित परिवार से मिलने और उनको सांत्वना देने ग्राम बूलगड़ी जा रहे थे पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर जाने नहीं दिया। रामजी सुमन के साथ पूर्व विधायक देवेन्द्र अग्रवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी भाजूद्दीन, जिला महासचिव जैनुद्दीन चौधरी, बबलू यादव, श्याम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य, मुश्ताक खान, नसरूद्दीन, अशोक अग्रवाल, बंटी खान, मुन्ना लाल, शंकर पाल, मंसूर अहमद, हाफिज शफीक आदि सैकड़ों साथी थे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर आज प्रदेश के सभी जनपदों में हाथरस की दलित बेटी की दर्दनाक और दिल दहलाने वाली मौत के विरोध में महिलाओं ने कैण्डल मार्च निकाला। महिलाओं के मार्च को कई जगह पुलिस ने रोकने की कोशिश भी की। पुलिस का यह रवैया निंदनीय था। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी की जिला एवं महानगर महिला सभा की ओर से हाथरस काण्ड और सरकार की दलित विरोधी नीति के खिलाफ कैण्डल मार्च निकाला गया। पार्टी के लखनऊ जिला कार्यालय, कैसरबाग से महिलाओं का बड़ा जुलूस महिला सभा की जिलाध्यक्ष श्रीमती प्रेमलता यादव तथा महानगर अध्यक्ष श्रीमती किरन पाण्डेय के नेतृत्व में शुरू हुआ और पुलिस ने कार्यालय के गेट पर ही घेराबंदी शुरू कर दी।
लखनऊ में महिलाओं के कैण्डल मार्च में कामिनी पटेल, उर्मिला रावत, सुधा यादव, ममता रावत, कहकशां, कीर्ति सिंह, सुश्री पूजा शुक्ला, वंदना चतुर्वेदी, कल्पना रस्तोगी, शीला यादव आदि मुख्य रूप से शामिल थीं। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि भाजपा के बेटी बचाओं, महिला सम्मान के नारे दिखावटी और जनता को बहकाने वाले हैं। पीड़िता युवती के साथ 14 सितम्बर 2020 को दबंगों ने गैंगरेप किया जिसकी रिपोर्ट लिखने में पुलिस को 8 दिन लग गए। पुलिस ने छेड़खानी में केस दर्ज किया। मुख्यमंत्री जी दलित-पिछड़ों की बहन-बेटी की अस्मिता की कीमत रूपयों में तौलकर दरिंदगी का बचाव करने की भूल न करे। जनता इसके विरोध में सड़क से संसद तक आवाज उठाएगी और उपचुनावों में भाजपा को पराजय का मजा चखाएगी।