सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले में बुधवार को फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई सार्वजनिक जगह को विरोध प्रदर्शन के लिए इस तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता कहा कि सड़क को अनिश्चित काल तक बंद नहीं किया जा सकता. इस तरह के मामले में एडमिनिस्ट्रेशन को कार्रवाई करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध का अधिकार संविधान में है लेकिन विरोध प्रदर्शन के लिए निर्धारित जगह होनी चाहिए. आम लोगों को विरोध प्रदर्शन से दिक्कत नहीं होनी चाहिए. अदालत ने उम्मीद जताई कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया की ऐसी स्थिति बनने पर एडमिनिस्ट्रेशन को खुद ही कार्रवाई करनी चाहिए. किसी कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में सोशल मीडिया के प्रोपगेंडा के जरिए हालात खराब होने का खतरा बना रहता है.
दरअसल, दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन को लेकर इस बाबत याचिका दायर की गई थीं. इस मामले में याचिकाकर्ता वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने अर्जी दाखिल की थी.
साहनी ने अर्जी में कहा था कि सड़कों पर ऐसे विरोध जारी नहीं रह सकते. सड़कों को ब्लॉक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रदर्शन 100 दिनों तक चलते रहे और सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देश तय करने चाहिए.