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चतुरी चाचा…कृषि कानून का लयके विपक्षी पार्टियां अपनी रोटी सेंकय मा लागि हयं!

चतुरी चाचा ने आज प्रपंच चबूतरे पर पहुंचते ही मुझे हाँक लगाई। मैं भी उनके अच्छे पड़ोसी की तरह तुरन्त चबूतरे पर पहुंच गया। चतुरी चाचा बोले- का हो रिपोर्टर भूलि गयो। आजु प्रपंच ककुवा केरे मड़हा मा होय का हय। चलो हुवाँ सब जने राह देखि रहे होइंहै। हम दोनों ककुवा के मड़हा के लिए रवाना हो गए। दस मिनट में हम गाँव के उत्तरी छोर पर बने ककुवा के मड़हा पर पहुंच गए। वहां ककुवा, मुंशीजी, कासिम चचा व बड़के दद्दा अलाव ताप रहे थे। सब से राम जोहारि के बाद हम लोग भी एड़वे (पुआल से बना बैठका) पर बैठ गए।

चतुरी चाचा ने बतकही शुरु करते हुए बोले- ई बखत हम किसनन केरे नाम पय बड़ी गन्दी राजनीति होय रही हय। नए कृषि कानून का लयके विपक्षी पार्टियां अपनी रोटी सेंकय मा लागि हयं। आजु 17 दिन ते दिल्ली क्यार घेराव चलि रहा। किसान संगठन तीनों कृषि बिलन का वापस करावय केरी जिद बाँधे हयँ। विपक्षी दलन के कार्यकर्ता जबरन भारत बन्द करवाए कय कोशिश किहिन रहय। दिल्ली जाए वाले हाइवेन पय किसान आजव डेरा डारे हयँ। मोदी सरकार किसान नेतन ते कैयू दायँ बात कय चुकी। किसनन का हर तरह ते समझाए चुकी।

ककुवा बोले- चतुरी भइय्या, युहु बताव। देस भरिका किसान अपने घर अउ खेतन मा अपन कामु कय रहा। इ धरना-परदरसन करै वाले किसान कहाँ ते आए हयँ? नवा कानून तौ पूरे दयास मा लागू भा हय। मुला दिक्कत खाली पंजाबै मा हय। दिल्ली मा आंदोलन कय रहे किसनन का टीवी पय देखा। सब सरदारै दिखाय परे। मुंशीजी ने चतुरी चाचा और ककुवा की बात में अपनी बात जोड़ते हुए कहा- यह मामला भी एनआरसी/सीएए की ही तरह है। उस कानून को लेकर भी पूरे देश में आग लगाने की कोशिश की गई थी। देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध के नाम पर अरबों रुपये की सरकारी व निजी संपत्ति आग के हवाले कर दी गयी थी। दिल्ली में महीनों धरना-प्रदर्शन किया गया था। जबकि मामला कुछ था ही नहीं। बस, कौवा कान ले गया वाली कहावत थी। ठीक वही हाल नए कृषि कानून को लेकर भी है।

इसी दौरान ककुवा के घर से उनकी पोती स्वाति व साक्षी गोभी की गुझिया और दूध की स्पेशल चाय लेकर मड़हा आ गईं। हम सबने चटपटी-रसली गोभी की गुझिया खाई। फिर सबने पानी पीकर चाय का कुल्हड़ उठा लिया। चतुरी चाचा ने दोनों लड़कियों को 300 रुपए देते हुए बोले- तुम दुनव जनी 50-50 रुपए बांटि लिहौ। बचे 200 रुपए तौ इ अपनी मम्मी का दयके कहेव कि गोभी केरी गुझिया बड़ी नीकी बनाइन हयँ। हम सब जनेन का गुझिया बहुतय नीक लागीं। ककुवा की पोती रुपये और संदेश लेकर फुर्र हो गईं।

कासिम चचा ने बतकही को आगे बढ़ाते हुए कहा- आखिर केंद्र सरकार कोई कानून बनाने के पहले सम्बंधित पक्ष को विश्वास में क्यों नहीं लेती है? अगर किसी कानून से आम लोगों को दिक्कत है, तो उसमें अपेक्षित संशोधन करने में क्या कष्ट है? मोदी सरकार कई बार राजहठ पर उतर आती है। इसी से विपक्ष को राजनीति करने का मौका मिलता है। अब अगर कॄषि के तीनों बिलों से किसानों को परेशानी है, तो सरकार को चाहिए कि किसानों की परेशानी दूर करे। देखना, अन्नदाता की यह नाराजगी भाजपा को भारी पड़ेगी। इधर किसान आंदोलन चल रहा है, उधर पश्चिम बंगाल में रक्त रंजित राजनीति हो रही। वहां भी भाजपा हिन्दू-मुस्लिम कार्ड खेलने की कोशिश में जुटी है।

बड़के दद्दा बोले- कासिम चचा, आपकी कुछ बातें बहुत अच्छी हैं। हम भी चाहते हैं कि मोदी सरकार किसानों की समस्याओं का तत्काल निराकरण करे। इस भीषण ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे किसानों को दिल्ली से खुशी-खुशी विदा करे। परन्तु, किसान नेताओं को भी अपनी हठधर्मिता छोड़नी चाहिए। उन्हें विपक्षी पार्टियों का खिलौना नहीं बनना चाहिए। सरकार के प्रस्ताव पर खुलेमन से विचार करना चाहिए। रही बात पश्चिम बंगाल की तो वहां पहले वामपंथी पार्टियों और ममता बनर्जी की टीएमसी के बीच खून राजनीति होती थी। वामपंथियों की तरह टीएमसी कार्यकर्ता अब भाजपाइयों पर हमलावर हैं। चुनावी साल में वहां हमेशा खूनी होली होती है। वहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर कई बार हमला हुआ। टीएमसी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला कर दिया। इस बात को लेकर केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपना लिया है।

अंत में चतुरी चाचा ने मुझसे कोरोना अपडेट देने को कहा। हमने सबको बताया कि अबतक विश्व में कोरोना संक्रमितों की संख्या सात करोड़ होने जा रही है। वहीं, 15 लाख 83 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी कोरोना पीड़ितों का आंकड़ा एक करोड़ को छूने वाला है। जबकि अपने देश में एक लाख 42 हजार से ज्यादा लोग कोरोना से मारे जा चुके हैं। खुशी की बात यह है कि विश्व के कई देशों में कोरोना वैक्सीन लगने लगी है। भारत में भी कुछ हफ्तों के बाद कोरोना का टीका लगने लगेगा। बहरहाल, अभी हम लोगों को मॉस्क और दो गज की दूरी वाले नियम का सख्ती से पालन करना चाहिए। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाले प्रपंच को लेकर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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