कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 33वां दिन है। कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
हालांकि अच्छी बात ये है कि एकबार किसान संगठनों और सरकार के बीच एकबार फिर से वार्ता शुरू होने जा रही है। किसान संगठनों ने सरकार के बातचीत के न्यौते के प्रस्ताव को स्वीकार सकते हुए 29 दिसंबर को बातचीत पर अपनी सहमति जताई है। उम्मीद है कि कल होने वाली बैठक में इस मसले का कुछ हल निकल सके।
आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अबतक हुई बातचीत और तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें संशोधन करने की बात कह रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं।