Breaking News

जब गुरू गोविन्द सिंह के दो बेटों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया, मासूमों का साहस देख मुगल भी रह गये दंग

आज सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व है। बिहार के पटना साहिब गुरुद्वारा सहित देश और दुनिया के ऐसे हिस्सों में जहां सिख समुदाय के लोग रहते हैं, वहां गुरु गोबिंद सिंह की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। सिखों के लिए गुरू गोविन्द सिंह के योगदान कई लिहाज से बहुत खास है। मुगलों की बढ़ती ताकत औऱ उनके जुल्म देखते हुए गुरू गोविन्द सिंह ने सिखों को लड़ना सिखाया।इसके लिए उन्होंने सैन्य दल का गठन किया, हथियारों का निर्माण करवाया और युवकों को युद्धकला का प्रशिक्षण भी दिया।

गुरु गोबिंद सिंह ने सिख युवकों की सेना तैयार की और मुगलों के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी। कई लड़ाईयां उन्होंने जीतीं तो कईयों में उन्हें पराजय का भी सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी भी हथियार नहीं डाले और ना ही समझौता किया। चमकौर की लड़ाई में उनके दो बेटों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। वहीं दो छोटे बेटों को मुगल सैनिकों ने इस्लाम कबूल नहीं करने पर जिंदा ही दीवार में चुनवा दिया। लेकिन उन्होंने घुटना नहीं टेका।उनका बड़ा बेटा अजित सिंह तो चमकौर में वीरता से लड़ते हुए शहीद हुए।

बंदा बहादुर को बना दिया अपना प्रतिनिधि

गुरु गोबिंद सिंह का पूरा जीवन मुगलों के खिलाफ लड़ाई और सिखों की रक्षा करने में बीता. मुगल सैनिक जब उनके खिलाफ अभियान छेड़ते तो गुरू गोविन्द सिंह उनसे गुरिल्ला युद्ध छेड़ देते। इसी दौरान उनकी मुलाकात बंदा बहादुर से हुई। गुरु गोबिंद सिंह को शायद ये आभाष हो गया था कि इस लड़ाई में उनको अपने प्राणों का बलिदान करना पड़ेगा। इसलिए उन्होंने बंदा बहादुर से सिखों को मार्गदर्शन करने को कहा।

दया शंकर चौधरी

About Samar Saleel

Check Also

श्री नरसिंह बालाजी धाम के 25वीं वर्षगांठ पर श्रीराम कथा व अन्य धार्मिक आयोजन, 108 कन्याओं का होगा विवाह

अयोध्या। श्री नरसिंह बांध बालाजी धाम बर्नपुर आसनसोल पश्चिम बंगाल की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य ...