आज विश्व के समक्ष दूषित पर्यावरण सुरसा की तरह मुंह खोले खड़ा है। यह हमारी धरती को, जनजीवन को एक दिन निगल लेगा। विश्व पटल पर अगर नजर दौड़ाएं तो भारत में पर्यावरण की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण और अन्य सभी प्रदूषण की मात्रा दिनोदिन बढ़ रही है। कुएं और तालाब सुख रहे, खत्म हो रहे हैं। तमाम नदियां भी अस्तित्व विहीन हो चुकी हैं। हवा विषाक्त हो रही है। ध्वनि प्रदूषण मानक से कहीं ऊपर है।कुलमिलाकर पर्यावरण बहुत खतरनाक मोड़ पर पहुंच रहा है।
हम हरियाली पर लगातार आरा चला रहे हैं। धरती पर अनुपात से वन कम होते जा रहे हैं।आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपने भौतिक सुख के लिए कंक्रीट के जंगल उगाते जा रहे हैं। इसका दुष्परिणाम हमारी अगली पीढ़ी झेलगी। हम भावी पीढ़ी के सुख-साधन बढ़ाने में जुटे हैं। परंतु, हम यह कतई नहीं सोच रहे कि अगर उन्हें स्वच्छ हवा और जल नहीं मिलेगा तो वे इस धन-संपदा का क्या करेंगे। हमारी भावी पीढ़ी जब प्रदूषित हवा और पानी के कारण बीमार ही रहेगी। इसके कारण वे अकाल मौत मरेंगे। पानी के लिए मारकाट मचेगी। तब हमारे द्वारा जोड़े गए सुख-साधन बेमानी होंगे। इनका कोई अर्थ नहीं रहेगा। इस कंक्रीट के जंगल में कोई रहने वाला ही नहीं होगा।
ऐसे में समाज और सरकार सबको सोचना चाहिए। भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ हवा, पानी से ज्यादा जरूरी और कुछ नहीं है। इस दिशा में हम सबको सम्मिलित प्रयास करने होंगे। वायु और ध्वनि प्रदूषण को घटाने के सभी उपाय तत्काल शुरू करने होंगे। वह बड़ी जिमेदारी और ईमानदारी के साथ करने होंगे। जल संरक्षण पर बहुत कम करने की जरूरत है। यह कार्य सामूहिक स्तर पर करना होगा। हमें अपने बच्चों को भी इसके लिए जागरूक करना होगा। उनमें पौधे रोपने, जल संरक्षण करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने की आदत डालनी होगी। तभी बात बनेगी। तभी हमारी धरती हमारी भावी पीढ़ी के रहने और जीने लायक रह सकेगी।
पर्यावरण दिवस के दिन ही कुछ लोगों द्वारा कुछ पौधे रोपने, संगोष्ठी करने से बात नहीं बनेगी। हमें रोज पर्यावरण दिवस मनाने पर कृत संकल्प होना होगा। समाज को जागरूक और एकजुट करके पर्यावरण को स्वच्छ रखना होगा।
![नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान](https://samarsaleel.com/wp-content/uploads/2020/04/Screenshot_20200412-111243-257x300.jpg)