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महिला सशक्तीकरण की दिशा में दशकों से अग्रणी भूमिका निभा रहा है सीएमएस: डा. भारती गांधी

लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर एक अनौपचारिक वार्ता में सिटी मोन्टेसरी स्कूल की संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गांधी ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में सी.एम.एस. दशकों से अग्रणी भूमिका निभा रहा है। वर्ष 1959 में, अपनी स्थापना के समय से ही सीएमएस महिला सशक्तीकरण का अलख जगा रहा है। सामाजिक विकास में महिलाओं के योगदान को सीएमएस ने गहराई से आत्मसात किया है और आज सीएमएस के 52,000 छात्रों को शिक्षा देने वाली 90 प्रतिशत शिक्षिकाएं हैं, जो भावी पीढ़ी के भविष्य निर्माण में संलग्न हैं।

डा. गांधी ने आगे कहा कि सीएमएस के छात्र-छात्राएं विभिन्न माध्यमों से महिला सशक्तीकरण की जोरदार आवाज बुलन्द कर समाज में महिलाओं को उचित सम्मान देने हेतु जन-मानस को लगातार जागरूक कर रहे हैं। इसी कड़ी में अभी हाल ही में राजाजीपुरम में 1090 पुलिस के पिंक बूथ के उद्घाटन अवसर पर सीएमएस कानपुर रोड एवं आरडीएसओ कैम्पस के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक के प्रस्तुतिकरण द्वारा महिला सशक्तीकरण का उद्घोष किया तो वहीं दूसरी ओर सीएमएस आरडीएसओ कैम्पस की कक्षा-11 की छात्रा उर्वी ने पोस्टर बनाकर महिलाओं की आवाज बुलन्द की।

इसी प्रकार, विगत सप्ताह सीएमएस राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) के छात्र-छात्राओं ने मनोवैज्ञानिक काउन्सलर हेमा टंडन के मार्गदर्शन में लैंगिक समानता पर विचार-विमर्श किया। आगे बातचीत करते हुए डा. भारती गाँधी ने कहा कि वर्तमान समाजिक विकास में महिलाओं की अतुलनीय भागीदारी के बावजूद लिंगभेद की असमानता चिंतनीय है। इसी संदर्भ में लैंगिक असमानता, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा आदि सामाजिक कुरीतियों के खत्म करने, महिलाओं पर होने वाले अपराध व हिंसा पर अंकुश लगाने एवं समाज में महिलाओं का उचित सम्मान व प्रतिनिधित्व प्रदान करने के उद्देश्य से सीएमएस द्वारा विगत कई वर्षों से लगातार इण्टरनेशनल मीडिया कान्फ्रेन्स का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य यही है कि स्कूल एवं मीडिया के संयुक्त प्रयास से समाज में रचनात्मक बदलाव लाया जाए।

डा. गांधी ने कहा कि सीएमएस का मिशन है कि बच्चों को शैक्षिक ऊचाइयाँ प्रदान करने के साथ उन्हें समाजिक सरोकारों से भी जोड़े। अभिभावक एवं शिक्षक-शिक्षिकाएं ही ऐसे माध्यम हैं जो भावी पीढ़ी को सही रास्ता दिखाते हैं, उन्हें समानता का व्यवहार सिखाते हैं, उनमें परस्पर सम्मान की भावना जगाते हैं। डा. गाँधी ने जोर देते हुए ने कहा कि विश्व की आधी आबादी ‘महिलाएं’ विश्वव्यवस्था की रीढ़ हैं। सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी क्षमता, प्रतिभा, नेतृत्व गुण आदि को स्थापित किया है परन्तु अभी काफी कुछ किया जाना शेष है।

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर समाज के प्रत्येक नागरिक को यह भावना आत्मसात करने की जरूरत है कि महिला व पुरुष दोनों ही बराबर है। अब समय आ गया है कि माताओं को भी एक समाज के प्रति दायित्व निभाना चाहिए और अपना योगदान देना चाहिए, साथ ही साथ महिलाओं की हक की लड़ाई में पुरुषों को भी आगे आना चहिए।

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