लखनऊ की नामचीन आरटीआई एक्टिविस्ट ने 02 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्र के मार्फत 53 पेज के प्रमाणों के साथ पत्र लिखकर यूपी कैडर के आईपीएस अमिताभ ठाकुर पर कई वर्षों से उच्च पद और सरकारी संसाधनों का लगातार दुरुपयोग करके निजी लाभ के लिए पेशेवर रूप से आरटीआई, मुकदमेबाजी और मीडियाबाजी करने के कारण राजकोष पर बोझ बन जाने के आरोप लगाए थे और कदाचारी IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर को जबरन सेवानिवृत्ति योजना के तहत सेवाच्युत करने की मांग उठाई थी।
इस शिकायत पर कार्यवाही के दौरान भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने उर्वशी से शपथ पत्र की मांग की थी। उर्वशी ने 24 सितम्बर 2019 को भारत सरकार के गृह सचिव को शपथ पत्र भी भेज दिया था। अमिताभ ठाकुर को जबरन सेवानिवृत्ति देने संबंधी उर्वशी के शिकायती शपथ पत्र और मूल शिकायत को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 07 अक्टूबर 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार को शिकायत पर यथोचित कार्यवाही करने के लिए भेज दिया था जिसका पता उर्वशी को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के निदेशक ( पुलिस ) ए. के. सरन द्वारा उर्वशी को भेजे गए पत्र से चला।
उर्वशी बताती हैं कि उन्होंने 09 सितम्बर 2019 को सूबे के राज्यपाल को पत्र लिखकर यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के पूर्व के भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में पत्रिका ‘विचार’ में “लुटेरों के हाथों जिलों की कमान” शीर्षक से प्रकाशित संलग्न समाचार के तथ्यों का संज्ञान लेकर सम्यक स्तर से जांच कराने की मांग की थी जिस पर राज्यपाल ने 25 सितम्बर 2019 को यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह को कार्यवाही करने का आदेश दिया था।
समाजसेविका उर्वशी का कहना है कि वे यह दावा नहीं कर रही हैं कि आईपीएस अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर सेवा से बाहर करने की कार्यवाही एकमात्र उनके ही पत्र के आधार पर हुई है किन्तु उनको विश्वास है कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार ने उनकी शिकायतों का गंभीरतापूर्वक अनुश्रवण कराकर उनकी शिकायतों को भी इस प्रक्रिया में शामिल अवश्य किया है। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल करते हुए अमिताभ ठाकुर को जबरन सेवानिवृत्ति योजना के तहत सेवाच्युत करने की उनकी मांग को पूरा करने के लिए उर्वशी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सार्वजनिक रूप से धन्यवाद ज्ञापित किया है।