लखनऊ। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा है कि प्रशासन पूरे मामले में आरंभ से ही भाजपा के प्रथम पंक्ति के नेताओं का संरक्षण रामदेव के कई विवादित कृत्यों पर पर्दा डालने में लगा हुआ है। रुचि सोया मामले में करोड़ों रुपए के लोन को राइट ऑफ कर दिया गया, उसके बाद कंपनी को बाबा रामदेव ने खरीदा और आज वह सबसे प्रॉफिटेबल कंपनी में से एक है। विगत दिनों पतंजलि हनी में चाइना के शुगर सिरप के मिलावट की जांच में प्रमाणित होने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई क्यों?
श्री सिंह ने कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की आपत्ति और बाबा रामदेव के “पत्र वापस लेता हूं” कहने मात्र से उनके पाप धुल नहीं जाते, साथ आचार्य बालकृष्ण का बयान पर्याप्त नहीं है। ऐसे भीषण आपदा के समय जानबूझकर व्यावसायिक लाभ और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए झूठ, भ्रम और गलत बयानी करना गंभीर अपराध है। आपदा अधिनियम के तहत धारा 52 से 60 के बीच उपबंधित प्रावधानों के तहत् एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। ऐसे महामारी के विपरीत हालात में चौबीसों घंटे देवदूत की भूमिका निभा रहे डॉक्टरों और चिकित्सा पद्धति के खिलाफ दुष्प्रचार पर तत्काल कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
सुनील सिंह ने आगे कहा है कि सरकार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से बड़ी तादाद में कोरोना मरीजों की इलाज के अभाव में ही मौत हुई है। श्री सिंह ने आगे कहा है कि महामारी के इस दौर में जो दुर्गति इंसानों की इस लापरवाह व अहंकारी सरकार के कर कमलों से हुई वो अकल्पनीय है। लोग ऑक्सिजन, इंजेक्शन और ईलाज के अभाव में बिलखते, तड़पते और दम तोड़ते रहे।
यही ही नहीं, मरने के बाद उनके शवों के साथ जैसा बर्ताव किया वह अवर्णनीय है। शवों को कहीं भी फेंक दिया।जलाने के लिए घंटो इंतज़ार करना पड़ा, कहीं भी दफ़ना दिया गया, पानी में बहा दिया गया, कुत्ते लाशों को नोचते रहे। और तो और अब अमानवीय भाजपा सरकार दफ़नाए गए उन शवों से रामनामी चुनरी भी हटवा रही है।