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क्या अब इलाज के लिये भी होगा धरना, आखिर कब जिला अस्पताल के डाक्टरों पर लगेगा अंकुश?

रायबरेली। शनिवार को एक बार फिर जिला चिकित्सालय की लापरवाही का मामला प्रकाश में आया। करीब 48 घंटे से एक मरीज को देखने डॉ प्रदीप अग्रवाल नही पहुंचे। इस बात से नाराज समाज सेवी सन्तोष पांडेय मरीज को लेकर डीएम आवास के सामने उस मरीज के परिजनों के साथ धरने पर बैठ गए।

जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों को लगाई कड़ी फटकार, इमरजेंसी में बाहर से इंजेक्शन लिखे जाने पर कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश।

मामले की जानकारी पर तत्काल जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव आवास से बाहर आए और फौरन मरीज बच्ची को सबसे पहले चिकित्सालय में भर्ती करवाया। इस पर उन्होने समाजसेवी से यह भी कहा यह आप अच्छा नही कर रहे थे। जो मरीज को यहां लेकर आ गए पहले बच्ची का इलाज जरुरी था। बच्ची को अस्पताल भेजने के बाद सब की बात सुनी एवं डॉक्टरों को कड़ी फटकार भी लगाई।

इसके साथ एक और मामला भी से सामने आ गया जिसमे इमरजेंसी में बाहर से 350 रुपये का इंजेक्शन एक डाक्टर ने लिख दिया था। जिसमें जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने तत्काल जिस डॉक्टर की ड्यूटी उस वक्त थी सीएमएस सीएमओ सबको आवास पर बुलाया। जिस तरह जिलाधिकारी दौड़ते हुए बच्ची की मदद की ओर आगे आए उसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है यह उनकी संवेदना को दर्शाता है। लेकिन जिला चिकित्सालय के डॉक्टर अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं जिसके लिए जिलाधिकारी ने सख्त रुख अपना लिया है।

सभी वार्डों में सीसीटीवी कैमरे वह भी चालू अवस्था में तत्काल शुरू करने के निर्देश भी दिए। अब देखना है की क्या जिलाधिकारी के निर्देश का असर डाक्टरो पर होगा या सब राम भरोसे ही चलेगा। अगर लापरवाह डाक्टरों पर कोई ठोस कार्रवाई न हुयी तो कुछ नही होने वाला सब ऐसे ही चलता रहेगा।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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