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शिक्षा में गुणवत्ता का स्तर ऊंचा बना रहेगा

शिक्षा में गुणवत्ता बनाए रखने और शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने हेतु सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक प्रकार की शैक्षणिक एवम गैर शैक्षणिक प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं जिसमें अच्छे अंक प्राप्त करने वाले उत्तीर्ण छात्रों को ही विभिन्न कोर्सेज में प्रवेश दिया जाता है। शिक्षार्थियों में प्रतिस्पर्धा की भावना को विकसित करने हेतु भी यह प्रतियोगिताएं बहुत फायदेमंद सिद्ध होती हैं। तार्किक भी है कि छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा का भाव होने से प्रत्येक छात्र अपना बेहतर से बेहतर देने का प्रयास करता है एवं एक दूसरे से अधिक अंक प्राप्त करने की कोशिश भी करता है।अपने इन प्रयासों में वह पाठ्यक्रम की गहराई में जाकर अध्ययन करता है एवं प्रत्येक प्रत्यय को व्यवहारिक रूप में जानने और समझने का पूर्ण प्रयास करता है और यही हमारी शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भी है कि छात्र केवल रट्टा करने पर जोर ना देकर व्यवहारिक शिक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करें, उसी के लिए शुरू से ही तैयारी भी करें।सरकार द्वारा देश में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित कराने का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना ही होता है।

आज मैं अपने इस आलेख में जेईई प्रवेश परीक्षाओं के बारे में कुछ जानकारी आप सभी के साथ साझा करने का प्रयास करूंगी। प्रस्तुत जानकारी विभिन्न सोशल साइट्स, इंजीनियरिंग छात्रों एवं शिक्षाविदों से बातचीत के दौरान प्राप्त की गई है। संभव है कि मेरे प्रस्तुत लेख में कुछ कमियां भी आपको नज़र आएं। इसलिए लेखन से पूर्व ही मैं आप सभी से गुजारिश करना चाहूंगी कि यदि आप मेरे आलेख से किसी भी रूप में संतुष्ट नहीं होते हैं तो अपनी शंकाओं के निवारण हेतु विभिन्न सरकारी वेबसाइट के माध्यम से उचित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा अर्थात एआई/ईईई भारत में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अर्थात सीबीएसई द्वारा आयोजित एक प्रवेश परीक्षा है। वर्ष 2002 में शुरू हुई इस राष्ट्रीय स्तर प्रतिस्पर्धा परीक्षण का परिणाम विभिन्न स्नातकोत्तर इंजीनियरिंग और वास्तुकला पाठ्यक्रम संस्थानों में दाखिले के लिए प्रयोग किया जाता है, जिनमें अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान शामिल हैं। अमूमन परीक्षाएं अप्रैल के अंतिम सप्ताह के रविवार में आयोजित की जाती हैं और परिणाम 15 से 20 दिन के अंदर घोषित कर दिया जाता है। परंतु इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते यह परीक्षाएं अपने नियत समय से बदल दी गई थी ताकि छात्रों के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव ना पड़े और उनकी जान जोखिम में ना आए।

उम्मीदवारों को राष्ट्रीय एवं राजजीय स्तर पर अपनी उपलब्धि के आधार पर रैंक प्रदान की जाती है। सभी परीक्षार्थियों की एक अखिल भारतीय रैंक और एक राज्य स्तर पर रैंक होती है। इन परीक्षाओं की अवधि 3 घंटे रखी जाती है तथा परीक्षाओं में शामिल प्रत्येक विषय को बराबर का महत्व दिया जाता है। चूंकि वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षाएं कोरोना कहर के चलते सरकार द्वारा कैंसिल करा दी गई थी, इसी के चलते जेईई मेन परीक्षा भी अपने नियत समय पर आयोजित नहीं कराई जा सकी थी और अब JEE main के तीसरे और चौथे सत्र की परीक्षाएं जुलाई और अगस्त माह में कराई जा रही हैं। पहले यह परीक्षाएं अप्रैल और मई माह में होने निश्चित हुई थी।

एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) ने साफ किया है कि किसी भी कैंडिडेट को जेईई मेन के तीसरे सत्र की परीक्षा के लिए पोस्ट के जरिये एडमिट कार्ड नहीं भेजा जाएगा। जिन स्टूडेंट्स ने एक से ज्यादा आवेदन फॉर्म भर दिये थे, उनके एडमिट कार्ड रोक लिये गये हैं। ऐसे स्टूडेंट्स को एनटीए द्वारा दी गई वेबसाइट पर संपर्क करने की सलाह दी गई है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जब से शिक्षा मंत्री के रूप में अपना पद संभाला है तभी से वह शिक्षा के क्षेत्र में नित्य प्रतिदिन ऐसे ही निर्णय ले रहे हैं जो छात्रों के स्वास्थ्यअनुकूल हों एवं उनसे छात्रों पर किसी प्रकार का बोझ ना पड़े। छात्र शिक्षा से भय ना मानें, अपितु प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ परीक्षाएं दे एवं अव्वल आएं। यहां यह बात बता देनी भी अति आवश्यक है कि इस दिशा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा एक अत्यंत सराहनीय कदम भी उठाया गया है। जैसा की सभी को विदित है कि महाराष्ट्र में अतिवृष्टि के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थिति को मध्य नजर रखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने महाराष्ट्र के सभी छात्रों के हित में यह घोषणा की कि महाराष्ट्र में जिन छात्रों को बाढ़ अथवा अन्य किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा है तो उन छात्रों के लिए जे ई ई मेंस की परीक्षाओं में बैठने के लिए समय बढ़ा दिया गया है, अर्थात वे छात्र अब सितंबर माह तक परीक्षाएं दे पाएंगे।

शिक्षा मंत्री द्वारा लिया गया यह निर्णय छात्रों के लिए अति रिलैक्स करा देने वाला निर्णय साबित होगा, जिसके लिए शिक्षा मंत्री की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। इतने कम समय में इतना वाजिब और तार्किक निर्णय निसंदेह शिक्षा को लेकर उनकी दूरदर्शिता को भी दर्शाता है। उन्होंने साबित किया है कि शिक्षा का उद्देश्य प्रत्यक्ष रूप से छात्रों के सर्वांगीण विकास से  जुड़ा हुआ है जिसके आधार पर ही परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिएं।

कहने का तात्पर्य यह है कि कोरोना वायरस के प्रभाव या यूं कहें दुष्प्रभाव को मद्देनजर रखते हुए जो फैसला शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा लिया गया है वह काबिले तारीफ है एवं पूर्ण रूप से छात्रों के हित में है तो ऐसे में छात्रों का भी कर्तव्य बनता है कि सरकार द्वारा दी गई इस सुविधा एवं भरपूर अवसरों का खूब फायदा उठाएं एवं अपने अथक परिश्रम और परीक्षाओं में अच्छे से अच्छा स्कोर करें एवं अपने मनचाहे प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश पा

    पिंकी सिंघल

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