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विधायकों के टिकट काट, बीजेपी रोकेगी सत्ता विरोधी लहर

  संजय सक्सेना

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी जिन राज्यों में शासन कर रही है,वहां पांच साल बाद चुनाव के समय सत्ता विरोधी माहौल बनना स्वभाविक होता है। कुछ लोग सरकार के कामकाज से नाराज होते हैं तो विपक्ष भी पांच वर्षो में इतने मुद्दे जुटा  लेता है जिसके बल पर बीजेपी की सत्ता को हिलाया जा सके।

यही उत्तर प्रदेश में भी हो रहा है। योगी सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो कि उसने प्रदेश को बीमारू राज्य से निकाल कर अग्रणी बना दिया हो, लेकिन विपक्ष कोरोना काल में आक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों, बिगड़ती कानून व्यवस्था, दलितों पर अत्याचार, बलात्कार की घटनाओं के सहारे योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में लगा है तो बीजेपी भी हार मानने को तैयार नहीं हैं, वह अपनी उपलब्धियां तो गिना ही रही हैं, वहीं सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए अन्य राज्यों में अजमाएं गए पुराने फार्मूले को यूपी में भी अजमाने जा रहा है, जिसके तहत भाजपा आलाकमान करीब 20-25 फीसदी विधायकों का इस बार चुनाव में टिकट काट सकती है।

बीजेपी का मौजूदा विधायकों टिकट काटने का फार्मूला कई राज्यों में कामयाब भी हो चुका है,इसलिए आलाकमान इसको लेकर काफी गंभीर है। इस बात की चर्चा हो ही रही थी,इस बीच भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इशारों-इशारों में कहना शुरू कर दिया है कि ऐसे विधायकों का टिकट काटने की प्लानिंग आलाकामन कर रहा है,जिनसे क्षेत्रीय जनता नाराज चल रही है। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ संकेत दे रहे हैं कि जिन विधायकों के खिलाफ इलाकों में शिकायतें मिलेंगी।

कामकाज को लेकर जिन पर सवाल उठेंगे आगामी विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया जाएगा. उनकी जगह पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। बीजेपी ऐसा करके मिशन-2022 को अमली जामा पहनाना चाहती है,बीजेपी किस विधायक का टिकट काटेगी,किसका नहीं यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन जिन विधायकों को लग रहा है कि उनका टिकट कट सकता है वह टिकट न कटे इसके लिए गोटिंया बिछाने लगे हैं।

आलाकमान को बताया जा रहा है कि सरकार को हाथ तो योगी जी ने ही बांध रखे थे, नौकरशाही तो दूर अदना सा सरकारी कर्मचारी भी बीजेपी ने नेताओं का तवज्जो नहीं देता था,क्योंकि योगी जी ने सरकारी मशीनरी को सख्त हिदायत दे रखी थी कि वह किसी तरह से राजनैतिक दबाव में नहीं आएंगे। इसका परिणाम यह हुआ कि गैर भाजपा दलों के सांसदों/विधायकों का भले ही थाना या सरकारी कार्यालयोें में काम हो जाता था,लेकिन बीजेपी नेताओं को सरकारी कर्मचारी और थानेदार बात-बात पर येागी जी का आईना दिखाने लगते थे,लेकिन शायद ही विधायकों की आवाज से आलाकमान का दिल पसीजेगा,क्योंकि बीजेपी यह आरोप तो पिछले पांच वर्षो से लगा रहे हैं,लेकिन आज तक किसी विधायक की सुनी नहीं गई  थी तो अब चुनाव के समय क्या सुनी जाएगी।

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