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महामारी को देखते हुए यूपी बोर्ड ने लिया बड़ा फैसला, 30 फीसद तक घटाया पाठ्यक्रम

लखनऊ। कोरोना महामारी को देखते यूपी बोर्ड ने 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को राहत देने का काम किया है। बोर्ड ने महामारी की संभावित लहर को देखते हुए नौवीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम को 30 फीसद घटाने का फैसला किया है। गौरतलब है कि पिछले सत्र में भी छात्रों को सहूलियत देते हुए बोर्ड ने सीबीएसई व आईसीएसई की तर्ज पर पाठ्यक्रम को 30 फीसद कम कर दिया गया था।

बोर्ड अफसरों की माने तो पढ़ाई का स्वरूप बदलने और छात्रों को सहूलियत देते हुए पाठ्यक्रम को कम करने का निर्णय लिया गया है। एक तरफ जहां अभी भी 60 फीसद छात्र ऑफलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं तमाम छात्र-छात्राएं ऐसे भी हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई को ज्यादा सुरक्षित मानते हुए उसमें अपनी रुचि दिखा रहे हैं। उधर बोर्ड ने छात्र हित को देखते हुए ताकी उन पर किसी तरह का दबाव न रहे, ऐसे में पाठ्यक्रम को 30 फीसद तक घटाने का फैसला किया गया है। इसकी जानकारी सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को भेज दी गई है।

यूपी बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर परीक्षाएं कराई जाती हैं, तो पेपर में जो सवाल होंगे वह 70 फीसद पाठ्यक्रम से ही पूछे जाएंगे। इसके पीछे मंशा यह है कि पाठ्यक्रम कम किये जाने से छात्र आसानी से परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं, और परीक्षाओं के दौरान भी इसका उन्हें पूरा लाभ मिलेगा।

अभिभावकों की चिंता

जहां एक तरफ सरकार ने कोरोना महामारी के 50 फीसद छात्रों के साथ स्कूल खोलना शुरू कर दिया है, ऐसे में अभिभावकों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है। इसके पीछे उनका तर्क है कि स्कूल प्रबंधन की लाख कोशिशों के बावजूद बच्चों में सामाजिक दूरी बनाए रखना सम्भव ही नहीं है।

ऑनलाइन व ऑफलाइन पढ़ाई की दुविधा

अधिकतर निजी स्कूलों में छात्रों को ऑनलाइन व ऑफलाइन पढ़ाई की सुविधा दी गई है। जिसमें 40 फीसद छात्र ऑनलाइन तो 60 फीसद ऑफलाइन पढ़ना चाहते हैं। सरकार ने दोनों ही प्रारूपों में छात्रों को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं। मगर स्कूल के सामने इस आदेश को लेकर असमंजस की स्थिति है। इसका मुख्य कारण, छात्रों का उपस्थित न होना है। सरकारी व वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में जहां ऑफलाइन पढ़ने वाले छात्र 30 से 40 फीसद पहुंच रहे हैं। वहीं निजी विद्यालयों में यह आंकड़ा 50 से 60 फीसद है। जबकि सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में 60 फीसद छात्र ऑनलाइन पढ़ना चाहते हैं, तो वहीं निजी स्कूलों में 30 से 40 फीसद की पसंद भी ऑनलाइन पढा़ई है।

      अनुपम चौहान

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