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कान्हा तुम तो भूल गए

कान्हा तुम तो भूल गए

कान्हा तुम तो भूल गए, देते नहीं हो ध्यान।
सूना वृंदावन हुआ, नहीं वंशी की तान।।
गऊएं हुई उदास है, गोपी सब बेहाल।
सखा पुकारें रात दिन, अब तो आओ पास।।

माखन मिश्री साथ में, नहीं रहा वह स्वाद।
हांथ धरो एक बार तुम, हो जाये परसाद।।
वादा आने का किया, बीते युग हजार।
नाम जपा पल पल प्रभु, दर्शन दो एक बार।।

इच्छाएं अनन्त है, कौन सुनेगा हाल।
मेरे जैसे बहुत सुदामा, लेकिन नहीं है श्याम।।

            डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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