आज महावीर जयंती मनाई जा रही है। Mahavir Jayanti जैन समुदाय के साथ साथ पुरे विश्व के लिए एक विशेष महत्व रखता है। आइये जानते हैं जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जैन के बारे में कुछ बातें जो शायद आपको पता न हो या यूँ कहें की शायद याद न हो।
Mahavir Jayanti : जानें कौन हैं महावीर जैन
आज महावीर जयंती है। जैन श्रद्धालु इस पावन दिवस को Mahavir Jayanti महावीर जयंती के रूप में परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास और श्रद्धाभक्ति पूवर्क मनाते हैं। भगवान महावीर ने घोर तपस्या करके अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी इस कारण उनको महावीर कहा गया और उनके अनुयायी जैन कहलाए।
- भगवान महावीर का जन्म वैशाली के बसोकुंड में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था।
- यह लिच्छवी कुल के राजा सिद्दार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र थे।
- इनके बचपन का नाम वर्धमान था।
- जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की प्रभात बेला में हुआ था।
- संसार को ज्ञान का संदेश देने वाले भगवान महावीर अपने कार्यों से सभी का कल्याण करते रहे।
- महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान आदिनाथ की परंपरा में चौबीसवें तीर्थंकर हुए थे।
- तीस वर्ष की उम्र में उन्होंने घर-बार छोड़ दिया और कठोर तपस्या द्वारा कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया।
- महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिभाषित करके जैन दर्शन को स्थाई आधार दिया।
- महावीर स्वामी ने श्रद्धा एवं विश्वास द्वारा जैन धर्म की पुनः प्रतिष्ठा स्थापित की।
- भगवान महावीर का जन्मदिन महावीर जयंती के रुप मे मनाया जाता है।
जैन अनुयायी कैसे मनाते हैं ये विशेष दिन
- महावीर जयंती पर जैन धर्म के अनुयायी समेत समाज श्रद्धालु मंदिरों में भगवान महावीर की मूर्ति को विशेष स्नान(अभिषेक) कराते हैं।
- अभिषेक के बाद भगवान महावीर की मूर्ति को सिंहासन या रथ पर बिठा कर उत्साह और हर्षोउल्लास पूर्वक जुलूस निकाला जाता है।
- इस रथयात्रा में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलम्बी शामिल होते हैं और बहुत ही शानदार तरीके से रथ को सजाते हैं।
- इस अवसर पर जैन श्रद्धालु भगवान को फल, चावल, जल, सुगन्धित द्रव्य आदि वस्तुएं अर्पित करते हैं।
महावीर जी के उपदेश :-
महावीर जी ने अपने उपदेशों द्वारा समाज का कल्याण किया। उनकी शिक्षाओं में मुख्य बातें थीं कि-
- सत्य का पालन करो,
- अहिंसा को अपनाओ,
- जिओ और जीने दो।
इसके अतिरिक्त उन्होंने पांच महाव्रत, पांच अणुव्रत, पांच समिति तथा छः आवश्यक नियमों का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया, जो जैन धर्म के प्रमुख आधार हुए।
पावापुर में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को भगवान महावीर ने अपनी देह का त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति की।