लखनऊ। ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिण्डोला में विशेष दीवान के तहत आतमरस कीर्तन समागम का आयोजन मंगलवार को किया गया। इस अवसर पर सायं का दीवान रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जिसमें रागीजत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तन गायन एवं नाम सिमरन करवाया गया।
संगत को मुख्य ग्रंथी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने गुरमति ज्ञान देते हुए कहा कि मनुष्य का जीवन सभी जोनियों में श्रेष्ठ जीवन है जो कि भगवान ने सेवा व सिमरन करने के लिए दिया है। जो मनुष्य साध संगत में आकर सिमरन करते हैं वो सभी जोनियों से मुक्त हो जाते हैं उनकी जीवन यात्रा सफल हो जाती है और भगवान के घर में उनका आदर सम्मान बढ़ जाता है।
इसलिए हर प्राणी को प्रभु नाम का सिमरन करना चाहिए। विशेष रूप से पधारे रागी जत्था भाई गुरप्रीत सिंह हजूरी रागी श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर जी ने शबद कीर्तन ” भगत जना की पैज हरि राखै जन नानक आपि हरि किरपा करे।
हे ठाकुर हउ दासरो मै निरगुन गुनि नाहि कोइ। का गायन कर समूह संगत को निहाल किया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।दीवान की समाप्ति के पश्चात लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने रागी जत्था भाई गुरप्रीत सिंह जी को गुरु घर का सम्मान सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया। समाप्ति के उपरान्त गुरु का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी