लखनऊ। इन्स्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल सांइसेज लखनऊ विश्वविद्यालय ने इंटरनेशनल वेबिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत में कैंसर जागरुकता पर कुलपति डाॅ. आलोक कुमार राय, प्रो. पूनम टण्डन, डाॅ पुष्पेन्द्र कुमार त्रिपाठी, निदेशक और संकाय सदस्यों ने पोस्टर भी जारी किया।
2020 में कैंसर से हुई एक करोड़ मौतें, 2030 तक यह आँकड़ा पहुॅच सकता है 13 मिलियन तक
वेबिनार की आरंभ इन्स्टीट्यूट आफॅ फार्मास्यिूटिकल सांइसेज के निदेशक प्रो पुष्पेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने किया। उन्होंने वेबिनार पर जुड़े अन्य अतिथियों का अभिवादन और स्वागत भाषण से किया गया। निदेशक ने बताया कि 2020 में लगभग 10 मिलियन (एक करोड़) मौतें कैंसर से हुई हैं। वहीं, 2030 तक यह आँकड़ा 13 मिलियन तक पहुॅच सकता है। इसलिए, ऐसे वेबिनार, रिसर्च प्लेटफार्म समाज के लिए बहुत उपयोगी हैं। अमेरिका (इंडियन चेप्टर) कंट्रोल रिलीज सोसाइटी की अध्यक्ष प्रो॰ वंदना पत्रावले, सीडीआरआई, लखनऊ, के वैज्ञानिक डा. श्रीकान्त रथ, चिकित्सा स्वास्थ्य और कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार, के उप सचिव शशीकान्त शुक्ला मौजूद थे। इनके अलावा डा॰ अजय कुमार सिंह, सीईओ बायोटेक पार्क लखनऊ, प्रोफेसर पूनम टण्डन और प्रोफेसर राकेश चन्द्रा लखनऊ विश्वविद्यालय की गौरवमयी उपस्थिति रही।
निम्नलिखित लोगो ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये
डा॰ अजय जे॰ खोपड़े, उपाध्यक्ष, सन फार्मा एडवांस्ड रिसर्च कम्पनी लिमिटेड, वडोडरा गुजरात, ने कैंसर की नैनोमेडिसिन फारमूलेशन पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। जिसमें नैनोमेडिसिन, साधारण दवाई की तुलना में अधिक प्रभावी एवम कम हानिकारक होती है। उन्होंने टेक्सोल एन्टीकैंसर दवा का उदाहरण बताया कि 6 एमजी टेक्सोल को घोलने के लिए 500 एमजी क्रीमोफोर सालवेन्ट उपयोग किया जाता है, जो कि, दवा से ज्यादा हानिकारक है। दवा का डोज 24-25 एमजी है। इसलिए, लगभग पाॅच गुना ज्यादा क्रीमोफोर रोगी को दिया जाता है। नैनोटेक्नालोजी की सहायता से ऐसे हानिकारक सालवेन्ट से छुटकारा मिलता है और दवा ट्यूमर में सीधे ज्यादा से ज्यादा पहुॅचकर असर करती है। सामान्य कोशिकाओं को कम नुकसान पहुॅंचाती है।
पूर्व परीक्षण ही कैंसर से बचाव का उपाय, रुटीन हेल्थ चेकअप में कैंसर स्क्रीनिंग भी जुड़े
डा॰ नितिन चित्रान्शी मैक्केरी मेडिकल स्कूल, मैक्केरी विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया, मल्टीओमिक्स टेक्नोलोजी, ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया जिसके माध्यम से कैंसर की जल्दी पहचान हो पायेगी। डा॰ अभय सिंह चौहान, मेडिकल कालेज आफ विस्काॅंन्सिन यू॰एस॰ए॰ ने बताया कि पूर्व परीक्षण ही कैंसर से बचाव का उपाय है। उन्होंने कहा इसीलिए रुटीन हेल्थ चेकअप में कैंसर स्क्रीनिंग भी जुड़नी चाहिए। डा॰ शशांक कुमार सिंह काउंसिल आफॅ सांइटिफिक एण्ड इन्डस्ट्रीयल रिसर्च-इंडियन इन्स्टीट्यूट आफॅ इन्टीग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू, ने व्याख्यान प्रस्तुत किया कि सबसे आम कैंसर स्तन, फेफेड़े, कोलनरेक्टम और प्रोस्टेट कैंसर है।
एक तिहाई मौतों का कारण तम्बाकू और शराब का सेवन, कम फल और सब्जियों का सेवन और शारिरिक गतिविधि की कमी
कैंसर से होने वाली लगभग एक तिहाई मौतें तम्बाकू के सेवन, उच्च बाडी मास इन्डेक्स, शराब का सेवन, कम फल और सब्जियों का सेवन और शारिरिक गतिविधि की कमी के कारण होती है। मानव पेपिलोमा वाइरस (एचपीवी) और हेपिटाइटिस जैसे कैंसर पैदा करने वाले संक्रमण है। निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले लोगो में लगभग 30ः कैंसर के मामलांे के लिए जिम्मेदार है। कैंसर को शीघ्र पहचानकर इलाज करना ही एकमात्र उपाय है।
Report- Anshul Gaurav