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Rahul Gandhi का मकसद बस देश का पीएम बनना…

कांग्रेस की अधिकांश राज्यों में दिनों दिन गिरती साख के बाद पार्टी अध्यक्ष Rahul Gandhi खुद को पीएम बनाने की होड़ में लगे हैं। मीडिया के सामने आकर उन्होंने खुद को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हां क्यों नहीं वह पीएम बनने को तैयार हैं। लेकिन जनता उनमें पीएम की छवि देखने को तैयार  नहीं है। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की पीएम बनने की बेकरारी को मीडिया ने जनता के सामने रखते हुए चुटकी लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। एक ओर कांग्रेस सिमट कर अब कुछ ही राज्यों में रह गई। भाजपा डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों में छाई हुई है। ऐसे में राहुल गांधी का खुद को पीएम जैसे पद का दावेदार बनाने के लिए बयानबाजी जनता के गले नहीं उतर रही है। जनता इसे मात्र हवाई चुनावी जुमला ही मान रही है।

Rahul Gandhi, कांग्रेस पार्टी में परिवार का अध्यक्ष तो पीएम भी परिवार का

पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष जिस तरह से राहुल गांधी को ही बना दिया गया। उसके बाद से कांग्रेस पार्टी को लोग कांग्रेस पार्टी से न जोड़कर परिवार पार्टी के रूप में ही देखने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार अब जनता के बीच राहुल गांधी जिस तरह से खुद को जबरन 2019 का पीएम बनाने में जुटे हैं। वह महज एक हवा हवाई दावा बताया जा रहा है।

कांग्रेस के परिवारवाद से बेहतर भाजपा का राष्ट्रवाद …

जनता ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह से कांग्रेस परिवारवाद को वर्षों से बरकरार रखकर जनता पर थोपने के लिए केवल एक व्यक्ति विशेष में सारी शक्तियों को ​सन्निहित करना चाहती है। उससे देश का भला नहीं होने वाला है। जनता खुद भाजपा के साथ जुड़कर देश का भविष्य देख रही है। जिस तरह से विश्व पटल पर पीएम मोदी के नेतृत्व में देश का नाम उठा उससे पहले जनता ने कभी ऐसी उम्मीदें भी नहीं लगाई थी। जिससे जनता अब पीएम मोदी के नेतृत्व में ही देश का विकास दिख रहा है। लेकिन कांग्रेस केवल परिवार तक ही सीमित रह गई है और वह परिवार का ही भविष्य देख रही है। उसी से वह चिंतित है। ऐसे में देश के विकास की उम्मीद भी निरर्थक साबित होती दिख रही है।

राहुल पीएम बनने की बात करते हैं, लेकिन नहीं करते देश के विकास की बात

राहुल गांधी पर जनता ने आरोप लगाते हुए कहा कि देश का पीएम बनने का सपना देखने वाले कांग्रेस अध्यक्ष पीएम बनने की बात तो करते हैं। लेकिन वह कभी देश के विकास की बात करते ही नहीं। ऐसे में जनता खुद यह सोचने को मजबूर है कि आखिर वह पीएम बनना क्यों चाहते हैं।

रिपोर्ट—संदीप वर्मा

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