- देखरेख के आभाव में बदहाल है जिले का यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
- अव्यवस्था व बदइन्तजामी से कब मुक्त होगा यह दर्शनीय क्षेत्र
रायबरेली। जनपद में भी पर्यटन के लिए कई स्थल हैं। उनमें रेवती राम तालाब की बात की जाए तो यह अपने आप में दर्शनीय है। इस ऐतिहासिक तालाब पर जिले की सांसद सोनिया गांधी के प्रयास से अच्छी खासी रकम मिली थी। कुछ कार्य हुए भी लेकिन जिस तरह से होनें चाहिए। इस स्थल उचित विकास नही हुआ शहर के किनारे करीब 60 साल पुराने रेवती राम तालाब की दशा पर जिम्मेदार ध्यान दें तो यहां की सुरत बदल सकती है। जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा व इसकी रौनक भी लौट आयेगी। आप यहां के तालाब के पानी को देख कर अन्दाजा लगा सकते हैं की कितना कार्य हुआ है। इस तालाब के पानी पर काई की मोटी परत जम गई है। इस कारण यह आदमी व जानवर किसी के काम में नहीं आ रहा है। न ही इस ओर किसी का ध्यान जा रहा है।
करीब 60 साल पहले बनवाया गया था यह तालाब
शहर के किनारे अहियारायपुर में 1951 में एक तालाब बनाया गया था। लोग कहते हैं कि यह तालाब लखनऊ के नवाब शुजाउद्दौला के मुख्तार ने बनवाया था। यहां राजपरिवार की महिलाएं घूमने आती थीं। उनके रहने नहाने के लिए महिला स्नान घर बना है। तालाब में 6 गहरे कुएं हैं। इस कारण कभी इस तालाब का पानी नहीं सूखता है। लेकिन वर्तमान समय में तालाब का पानी प्रयोग में नहीं आ रहा है।
केंद्रीय निधि से हुआ जीर्णोद्धार
सांसद सोनिया गांधी के प्रयास से केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने रेवती राम तालाब के जीर्णोद्धार के लिए 84 लाख रुपये उपलब्ध कराए थे। ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग कार्य कराया गया । यहां पर्यटकों के बैठने के लिए दो स्थान बनाए गये हैं। पेय जल के लिए 10 हजार लीटर क्षमता की पानी की टंकी बनी है जो जस की तस है शौचालय व विश्रामालय की भी दयनीय है बिजली लाइट की भी इंतजाम किया गया है।
पानी की सफाई जरूरी
तालाब के सुंदरी करण का लाभ तभी होगा। जब तालाब का पूरा गंदा पानी बाहर किया जाय। तली की सफाई के बाद उसमें ट्यूबवेल का साफ पानी भरा जाए। पर्यटक साफ पानी में नहाने का आनंद उठा पायेंगे। खुला वातावरण होने के कारण यहां परिवार बच्चों के साथ थोड़ा समय गुजारा जा सकता है।
यहां तैनात कर्मचारी ने ही एक कमरे में भर रखा है भूसा
रेवती राम तालाब में व्यवस्थाएं तो अच्छी की गई लेकिन उनका क्रियान्वयन सुचारु रुप से नही हो सका सरकार की निधि का दुरुपयोग ही हुआ। एक परिसर में कमरे व निष्प्रयोज्य शौचालय बने थे। उसके बारे में पूँछा गया तो उसने कहा की यह कैंटीन बनाई गई थी। जिसे कैंटीन के रुप मे विकसित हुई थी ।वहां उसी कर्मचारी ने भूसा भर रखा है जो वहां तैनात है।
क्या बोले शहर वासी
अहियारायपुर निवासी पुनीत शुक्ला कहते हैं की सुन्दरी करण हो जाए तो व्यवस्था ठीक रहे। लाईट की व्यवस्था ठीक नही है टोटियां टूटी हैं। पानी भी गन्दा है। यहां पर नगरपालिका से तैनात कर्मचारी अहियारायपुर के रामबरन कहते हैं की रात-बिरात नशेबाज भी आ जाते हैं। यहां 15 खम्भे थे जिनमें 2 काम कर रहें हैं। पानी की टंकी तो लगी है पर सभी स्थानों पर सप्लाई ठीक नही है। जहानाबाद उत्तरी निवासी सन्तोष कुमार बताते हैं न लाईट की व्यवस्था है न बैठने की। जस -तस चल रहा है इस ओर जिम्मेदार ध्यान दें तो अच्छा पर्यटन स्थल विकसित हो सकता है। उन्ही के साथ लालगंज निवासी ओमप्रकाश यादव कहने लगे इस तालाब की बहुत चर्चा सुनी थी पर यहां आ कर लगा यदि जिम्मेदार इस पर ध्यान दें या यहां पर टिकट की व्यवस्था कर दें। तो रोजगार भी मिलेगा व व्यवस्था भी दुरस्त होगी। यहां गन्दगी बहुत है। इस स्थल में कई स्थानों पर खेलने की सामग्री टूटी है। यह भी दुरस्त होनी चाहिए व रख रखाव की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
क्या बोले जिम्मेदार – जिला विकास अधिकारी प्रभास कुमार कहते हैं की जांच कर व्यवस्था दुरस्त करने के प्रयास किए जायेंगे।
क्या है रहस्यमयी लाला रेवती राम के तालाब इतिहास
अहियारायपुर में जहां लाला रेवती राम का तालाब है वहां पहले एक कुंआ खुदवाया गया था। लाला रेवतीराम ने एक कुँआ खुदवाया किन्तु उसमें पानी नही मिला उसके बाद एक के बाद एक सात कुएं खोदे गये किन्तु पानी नही मिला ल। जिसे बाद में तालाब की शक्ल दे दी गयी फिर भी पानी नही मिला। कुछ माहत्माओं के निर्देश पर बलि दी गयी। जिसकी व्यवस्था तत्कालीन अंग्रेजों द्वारा की गयी। तालाब में पानी आ गया। लाला रेवतीराम ने तालाब में जनाना घाट गौ घाट व मुख्य द्वार के अंदरूनी भाग में एक ओर शिव व दूसरी ओर महाबली हनुमान जी की स्थापित किया व बारादरी में भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना की जो लाला रेवतीराम के इष्ट देव थे। तालाब पूर्ण होने व मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा में उपस्थिति ऋषियों ने कहा चैत मास में ओले गिरने पर ही भोजन ग्रहण करेंगे। जिस पर लाला रेवतीराम ने अपने तपो बल से ओलों की वर्षा की तब ऋषियों ने भोजन ग्रहण किया। लाला रेवतीराम की प्रार्थना ईश्वर ने स्वीकार की। लाला रेवतीराम ने बहुत से मंदिरों घाटों का निर्माण कराया । तालाब में फल फूल के अतिरिक्त चंदन के भी वृक्ष लगवाए गये थे।
चलायमान व रंग बदलता है तालाब का पानी
तालाब का पानी स्थिर न होकर चलायमान है । हर मौसम में पानी का रंग बदलता रहता है। लाला रेवतीराम ने अपनी मृत्यु का संकेत अपने पारिवारिक जनों को बता दिया था कि जिस दिन तालाब से हाथी चिघाड़ की आवाज आयेगी वही अंतिम समय होगा। कभी न सूखने वाले शहर के अहिया रायपुर के रेवती राम तालाब की अलग कहानी है। बताते हैं कि अंग्रेजों की हुकूमत में ही इसका निर्माण इलाके के लोगों को सूखे से राहत दिलाने के लिए हुआ था। महिलाओं की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए लोगों के नहाने के लिए अलग इंतजाम थे। मवेशियों के आने-जाने का रास्ता भी है, ताकि वे प्यास बुझा सकें। इससे जुड़ी कई किवदंतियां हैं। इन्हीं में एक बलि से जुड़ी कहानी भी है। लोग कहते हैं कि इसका पानी साल में चार बार रंग बदलता है। मगर देखरेख के अभाव में यह वर्तमान में नशेड़ियों का अड्डा बन गया है।
इसी तालाब में फेंक दिया था पारस पत्थर
कहते है कि लाला रेवतीराम के पास एक पारस पत्थर था । जिस कारण अंग्रेज भी उनके आगे पीछे रहते थे। अंतिम समय से पूर्व लाला रेवतीराम ने पारस पत्थर को तालाब में फेंक दिया था।
अंग्रेजों ने तालाब का बहुत पानी निकलवाया किन्तु तालाब सूखा नही। नमक आन्दोलन व स्वतंत्रता आन्दोलनों की गोपनीय बैठकें भी यही तालाब में हुआ करती थी।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्र