एक कक्षा में भी सभी छात्रों का शैक्षणिक स्तर एक जैसा नहीं होता, जबकि उन्हें पढ़ाने वाला अध्यापक एक ही होता है, जो बिना किसी भी भेदभाव के सभी छात्रों को समान रूप से एक ही विधि से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को संचालित करता है। किंतु यह प्राकृतिक एवं स्वाभाविक है कि एक ही मां के दो बच्चे भी अपनी आदतों और स्वभाव में अलग-अलग हो सकते हैं।
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Thursday, May 19, 2022
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विद्यालय या अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले सभी छात्रों का शैक्षणिक स्तर कभी भी एक जैसा नहीं होता। प्रत्येक शिक्षण संस्थान में छात्रों का मानसिक स्तर अलग अलग होने के कारण उनका शैक्षणिक स्तर भी ऊपर नीचे हो सकता है।
एक कक्षा में भी सभी छात्रों का शैक्षणिक स्तर एक जैसा नहीं होता, जबकि उन्हें पढ़ाने वाला अध्यापक एक ही होता है, जो बिना किसी भी भेदभाव के सभी छात्रों को समान रूप से एक ही विधि से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को संचालित करता है। किंतु यह प्राकृतिक एवं स्वाभाविक है कि एक ही मां के दो बच्चे भी अपनी आदतों और स्वभाव में अलग-अलग हो सकते हैं।
इसलिए कभी एक बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे से नहीं की जा सकती। किंतु यदि बच्चों के शैक्षणिक स्तर में जमीन आसमान का अंतर दृष्टिगत होता है तो यह सोचने का विषय बन जाता है। 19-21 का फर्क होने पर अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है,किंतु यदि यह अंतर बहुत ज्यादा होता है तो शिक्षकों और अभिभावकों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
सन 2018 में दिल्ली सरकार द्वारा करवाए गए उपलब्धि सर्वेक्षण के दौरान कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दृष्टिगत हुए, जिसके आधार पर सरकार ने फैसला किया कि छात्रों के शैक्षिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कक्षा 3 से कक्षा 8 तक के सभी छात्रों के लिए स्कूलों में मिशन बुनियाद कार्यक्रम चलाया जाएगा। मिशन बुनियाद कार्यक्रम, जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि छात्रों की बुनियाद को मजबूत करने के लिए एक विधिवत कार्यक्रम की नींव रखी गई, जिससे छात्रों को बेसिक शिक्षा प्राप्त करने में कोई कठिनाई न हो। यदि उन्हें कोई कठिनाई है, तो उन कठिनाइयों को इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से दूर किया जा सके और छात्रों की उपलब्धि इस स्तर तक पहुंचाई जा सके कि उन्हें मिनिमम लेवल ऑफ़ लर्निंग अर्थात, सीखने के अधिगम के कुछ अपेक्षित न्यूनतम स्तर प्राप्त हो सकें।
Minimum level of learning से यहां हमारा तात्पर्य हिंदी,गणित और अंग्रेजी के कुछ न्यूनतम स्तर को प्राप्त करना है। उदाहरण के लिए, हिंदी में अक्षर और शब्दों की पहचान और तत्पश्चात उन शब्दों के माध्यम से वाक्यों का निर्माण करना और उनको लिखना,इसी प्रकार गणित में संख्याओं को की पहचान उन्हें पढ़ना, पहचानना और लिखना और उसके पश्चात साधारण जोड़ घटा के सवालों को हल कर पाना, ठीक इसी प्रकार अंग्रेजी विषय में अंग्रेजी अल्फाबेट को पढ़ना, लिखना और उनका प्रयोग कर अंग्रेजी के साधारण शब्दों को पढ़ और लिख पाना, इत्यादि है।
मिशन बुनियाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मूलभूत शिक्षा प्रदान करना है। गौरतलब है कि मिशन बुनियाद कार्यक्रम दिल्ली में पहली बार 2018 में चलाया गया था। 2022 में भी दिल्ली सरकार की इस योजना में विद्यालयों के अध्यापक सरल, सहज, रोचक और मनोरंजक तरीकों का प्रयोग कर कर विभिन्न शिक्षण सहायक सामग्रियों को बनाएंगे और उनका प्रयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान करेंगे, ताकि बच्चे कम समय में अधिक सीख सकें और उनका अधिगम स्थाई अधिगम हो पाए। बुनियाद कार्यक्रम में छात्रों को उनके शैक्षणिक स्तर के आधार पर तीन समूहों में बांटा जाता है, जिसमें कमजोर, औसत और औसत से ऊपर के छात्रों के लिए अलग-अलग समूह बनाए जाते हैं और उनकी समझ के आधार पर फिर उन्हें सिखाया जाता है। उनकी कठिनाइयों को दूर करने का यथासंभव प्रयास किया जाता है और साथ ही साथ उनका सतत मूल्यांकन भी करने का प्रावधान मिशन बुनियाद में रखा गया है ताकि छात्रों की कठिनाइयों और कमियों का साथ-साथ निदान हो सके। उनके उपचार के लिए विभिन्न छात्र केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से सरल और प्रभावी तरीकों का प्रयोग कर शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को क्रियान्वित किया जा सके।
मिशन बुनियाद कार्यक्रम के क्रियान्वयन में विद्यालयों को कुछ अलग से करने की आवश्यकता न पड़े, इसलिए दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों को अपने संसाधनों का प्रयोग कर कर ही मिशन बुनियाद कार्यक्रम को चलाने संबंधी दिशा निर्देश जारी किए हैं। गौरतलब है कि मिशन बुनियाद कार्यक्रम पूरा दिन नहीं चलाया जाएगा, अपितु कक्षा 3 से 9 के विद्यार्थियों के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम को दिल्ली सरकार के सभी विद्यालय सुबह 7:00 से 9:00 के बीच चलाएंगे और एमसीडी अर्थात दिल्ली नगर निगम के सभी विद्यालय 7:30 से 11:30 तक। विद्यालय के अध्यापक विद्यार्थियों के आने से पहले आएंगे और विद्यार्थियों के जाने के बाद ही जाएंगे, ताकि छात्रों की सुरक्षा में कोई कोताही न बरती जा सके ।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए मिशन बुनियाद को 2 फेज में चलाने के सरकारी आदेश का अनुपालन करते हुए सभी विद्यालयों ने मिशन बुनियाद कार्यक्रम अपने-अपने विद्यालयों में चलाया और पहला फेज जो कि 2 अप्रैल 2022 से शुरू हुआ था, 10 अप्रैल को समाप्त हो गया।तत्पश्चात 11 अप्रैल 2022 से 15 जून 2022 तक मिशन बुनियाद का दूसरा फेज फिलहाल चल रहा है।
मिशन बुनियाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिंदी, गणित और अंग्रेजी विषयों में छात्रों की परफॉर्मेंस और ग्रेड को बढ़ाना है। यहां यह बता देना अति आवश्यक है कि पिछले 2 सालों में कोरोना महामारी के चलते विद्यालयों के छात्रों की शैक्षणिक स्थिति में काफी गिरावट देखने को मिली है। कोरोना काल के बाद दिल्ली सरकार ने विभिन्न विद्यालयों के सभी छात्रों का राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण करवाया, जिसके बाद पता चला कि अधिकतर छात्रों का पढ़ाई का स्तर उनकी कक्षा के स्तर के अनुरूप नहीं है। भारी संख्या में बच्चों को अक्षर ज्ञान और संख्या ज्ञान ही नहीं है, जो बेहद चिंता का विषय है। पिछले सालों में मजबूरी वश सरकार के आदेश पर शिक्षा विभाग को स्कूलों के सभी छात्रों को बिना किसी औपचारिक परीक्षा के ऑनलाइन पढ़ाई के आधार पर ही अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया गया था, जिसके चलते बच्चों की ग्रोथ को सही प्रकार नहीं मापा जा सका और उनकी लर्निंग में गैप आ गया।उनके सीखने के अंतर अर्थात् लर्निंग गैप की खाई को पाटने के लिए ही सरकार ने मिशन बुनियाद कार्यक्रम को चलाए जाने की मुहिम को आगे बढ़ाया और पिछले सालों की कमी को दूर करने के प्रयासों में सभी विद्यालयों का सहयोग भी मांगा।
कई विद्यालयों द्वारा विभिन्न प्रकार की समस्याओं का हवाला देकर मिशन बुनियाद कार्यक्रम को चलाए जाने की असमर्थता जाहिर की गई। उन समस्याओं में से कुछ इस प्रकार बताई गईं; जैसे छात्रों का अपने पैतृक गांव गमन कर जाना, मौसम का मिजाज बहुत अधिक खराब होना, विद्यालयों के पास संसाधनों की सीमितता, विद्यालय में छात्रों की संख्या बहुत कम होना, साथ ही साथ अभिभावकों की तटस्थता किंतु दिल्ली सरकार ने विद्यालयों की ऐसी किसी भी दलील को नहीं सुना और सभी विद्यालयों को पूर्ण सख्ती से आदेश दिया कि स्कूल प्रतिदिन 2 घंटे से 4 घंटे के मिशन बुनियाद कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाएं और छात्रों की उपलब्धियों संबंधी डाटा शिक्षा विभाग को उपलब्ध भी कराएं, ताकि समय-समय पर यह पता चलता रहे कि वास्तविक अर्थों में बच्चों ने पहले से कितना इंप्रूव किया है और अभी कितना कुछ करना बाकी है। यहां यह भी बता देना सही है कि हालांकि मिशन बुनियाद कार्यक्रम 2 से 3 महीने चलाए जाने का प्रावधान है और यह पूरी तरह संभव नहीं कि इन महीनों में बच्चे को हर विषय में पूरी तरह पारंगत कर दिया जाए। किंतु शिक्षकों द्वारा किए गए हार्ड वर्क और 200% प्रयासों से बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार अवश्य आता है। इसलिए कहीं ना कहीं से तो शुरुआत करनी बनती ही है और यही शुरुआत दिल्ली सरकार ने आगे बढ़कर दिल्ली के सभी स्कूलों में कर दी है, जिसका परिणाम सुखद होने वाला है।
शिक्षा का स्तर निसंदेह रूप से ऊंचा उठेगा और दिल्ली के स्कूल शिक्षा के मामले में दूसरे राज्यों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। अति गर्व की बात है कि दिल्ली सरकार अपने अथक प्रयासों से हर संभव कोशिश कर रही है कि शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार आ पाएं। बच्चों में रटने की प्रवृत्ति को जड़ से खत्म किया जाए, जिससे उनकी समझ को कुछ नए और पहले से बेहतर आयाम देकर सही रूप में विकसित किया जा सके। आखिर…..
पढ़ेगा इंडिया तभी तो बहुत आगे बढ़ेगा इंडिया!!
(लेखिका दिल्ली में अध्यापिका हैं…..!!)