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रक्षा सहयोग का विस्तार

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

भारत की रक्षा तैयारियों का विगत आठ वर्षो के दौरान अभूतपूर्व विस्तार हुआ है . आत्मनिर्भर भारत अभियान शानदार तरीके से आगे बढ़ रहा है. ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण डिफेंस कॉरिडोर के लखनऊ नोड में शुरू हुआ है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने लखनऊ इकाई से एक वर्ष में करीब सौ मिसाइलों को वितरित करने की योजना बनाई है। अनुसंधान एवं विकास संगठन लखनऊ में ब्रह्मोस विनिर्माण केंद्र स्थापित कर रहा ब्रह्मोस एयरोस्पेस दुनिया की सबसे अच्छी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली का निर्माण करेगा। इसे ब्रह्मोस-एनजी के रूप में नामित किया गया है।

इसकी खासियत है कि इसे पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। विनिर्माण केंद्र एक आधुनिक, अत्याधुनिक सुविधा होगी।

भारत और रूस का रक्षा सहयोग आगे बढ़ रहा है। दोनों देशों का संयुक्त उद्यम अगले पांच-छह साल में ब्रह्मोस एयरोस्पेस हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में सक्षम होगा। दोनों देशों ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली आधुनिक सटीक स्ट्राइक ब्रह्मोस मिसाइल का उत्पादन किया है।

देश में मिसाइल निर्माण उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्से के रूप में संयुक्त उद्यम के प्रमुख उद्योग भागीदारों के अमूल्य योगदान को रेखांकित किया जायेगा। दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली का संचालन करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान और व्यावसायिकता को स्वीकार किया गया है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने अपनी शानदार यात्रा के दो दशकों में कई उपलब्धियां हासिल करने के साथ ही ऐतिहासिक मील के पत्थर स्थापित किए हैं। इस महत्वाकांक्षी यात्रा के अगले चरण के लिए अत्याधुनिक ब्रह्मोस निर्माण केंद्र पर काम शुरू कर दिया है। यूपीडीआईसी के तहत सभी प्रमुख औद्योगिक परियोजनाओं की शुरुआत करने के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह किया गया था.यहां ब्रह्मोस की अत्यधिक उन्नत अगली पीढ़ी हथियार प्रणाली का डिजाइन, विकास और उत्पादन किये जाने की योजना है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस विनिर्माण केंद्र की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश में लगभग अस्सी हेक्टेयर भूमि दी गई है। यह भारत को दुनिया के शीर्ष-रैंकिंग रक्षा प्रौद्योगिकी केंद्रों में से एक केंद्र के रूप में भी स्थान देगा। ईरान अमेरीका वियतनाम इस्राइल के साथ भी सहयोग बढ़ रहा है। ईरान के विदेश मंत्री, इस्राइल के रक्षा मंत्री और अमेरीका के एक सैन्य कमांडर भारत की यात्रा पर आए थे .इसके बाद भारत के रक्षामंत्री वियतनाम यात्रा पर गए थे .इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान भी आगे बढ़ाया गया।

भारत ने एक सौ साठ किलोमीटर रेंज की स्वदेशी एस्ट्रा एमके टू मिसाइल का परीक्षण करने का निर्णय लिया. मिसाइल का ‘पहला लाइव लॉन्च’ भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से किया जाएगा। हवा से हवा में मार करने वाली रूसी और फ्रांसीसी मिसाइलों पर दशकों की भारतीय निर्भरता को समाप्त करने के लिहाज से यह परीक्षण काफी अहम माना जा रहा है। एमके-2 का परीक्षण भारत को हवा से हवा में युद्ध की श्रेष्ठता को वापस लाएगा, क्योंकि डीआरडीओ ने मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए एक दोहरी-पल्स रॉकेट मोटर विकसित की है।रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए एस्ट्रा एमके-1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल सिस्टम और सम्बंधित उपकरण खरीदने के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ उनतीस करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

फिलहाल यह मिसाइल सुखोई लड़ाकू विमानों पर लगाई गई है लेकिन अब इसे हल्के लड़ाकू विमान तेजस पर भी चरणबद्ध तरीके से लगाया जाना है। इसी तरह भारतीय नौसेना भी अपने मिग 29के लड़ाकू विमानों में मिसाइल को एकीकृत करेगी। अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी लेकिन अब डीआरडीओ ने वायु सेना के समन्वय से तकनीक विकसित की है।यह भारतीय सशस्त्र बलों को मिलने वाली पहली स्वदेशी मिसाइल है, क्योंकि भारत अब तक हवा से हवा में मार करने वाली रूसी और फ्रेंच मिसाइलों पर निर्भर रहा है। भारत की एस्ट्रा एमके-1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल की मौजूदा रेंज लगभग एक सौ दस किलोमीटर है। डीआरडीओ ने मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए एक दोहरी-पल्स रॉकेट मोटर विकसित की है जिससे अगली पीढ़ी की स्वदेशी एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल असली गेम-चेंजर साबित होगी।

इसी क्रम में इजरायल के रक्षा मंत्री बेंजामिन गैंट्ज भारत पहुँचे थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उनकी वार्ता हुई .इसमें रक्षा सहयोग, वैश्विक और क्षेत्रीय परिदृश्य से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। द्विपक्षीय रणनीतिक और रक्षा सहयोग मजबूत करने पर दोनों देशों के बीच व्यापक सहमति बनी है। राजनाथ सिंह ने बताया कि हम इजरायल के साथ अपनी सामरिक साझेदारी को बहुत महत्व देते हैं। दोनों देशों ने एक विजन स्टेटमेंट अपनाया है.जो भविष्य में रक्षा सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। द्विपक्षीय रणनीतिक और रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर दोनों देशों के बीच व्यापक सहमति है।
इजरायल रक्षा मंत्री की प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाक़ात हुई . इजरायली मंत्री गैंट्ज के साथ चीफ ऑफ स्टाफ मायन इजरायली, अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग निदेशालय के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल यायर कुलासो, नीति और पीओएल-एमआईएल ब्यूरो के निदेशक डॉर शालोम और सैन्य सचिव बीजी याकी डॉल्फ भारत दौरे पर आये थे।

यात्रा के दौरान दोनों पक्ष इजरायल और भारत के बीच तीस साल के राजनयिक और रक्षा संबंधों को चिह्नित करते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए . दोनों देश राजनयिक संबंधों की स्थापना के तीस साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। इस बीच भारत और इस्राइल ने रक्षा संबंध बढ़ाए हैं। भारतीय जहाजों की नियमित सद्भावना यात्राओं के हिस्से के रूप में पश्चिमी बेड़े के तीन भारतीय नौसैनिक जहाजों ने पाँच वर्ष पहले आइफा में बंदरगाह का दौरा किया था. इसके बाद नौसेना प्रशिक्षण जहाज आईएनएस तरंगिनी ने भी हाइफा का दौरा किया था। बहुपक्षीय वायु सेना अभ्यास ‘ब्लू फ्लैग’ गत वर्ष इजरायल में आयोजित किया गया जिसमें भारत ने भी भाग लिया था। भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और इजरायल के रक्षा अनुसंधान एवं विकास निदेशालय ने द्विपक्षीय नवाचार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे . पिछले साल भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अक्टूबर में, तत्कालीन भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने नवंबर में और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने अगस्त में इजरायल का दौरा किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इजरायल का दौरा किया था, जिसमें संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था। इसके बाद इजरायल के तत्कालीन प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत यात्रा पर आये थे।

इसके बाद ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की. मोदी ने भारत और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों को गर्मजोशी से याद किया।

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा की। व्यापार, संपर्क, स्वास्थ्य और लोगों से लोगों के बीच संबंधों सहित हमारे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की गयी. दोनों नेताओं ने इस दौरान संयुक्त व्यापक कार्य योजना अफगानिस्तान और यूक्रेन सहित वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया। साथ ही उनकी मौजूदगी में नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हांग हा शिपयार्ड में भारत की ओर से वियतनाम को बारह हाई-स्पीड गार्ड बोट सौंपी। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह समारोह भारत सरकार द्वारा सौ मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत बारह स्पीड गार्ड बोट बनाने की परियोजना के सफल समापन का प्रतीक है। यह समारोह भारत और वियतनाम के बीच कई और सहकारी रक्षा परियोजनाओं का अग्रदूत होगा।

शुरुआती पांच नावों का निर्माण भारत में एलएंडटी शिपयार्ड में किया गया था और शेष सात वियतनाम के हांग हा शिपयार्ड में बनाई गई हैं। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन का उदाहरण है। राजनाथ सिंह ने हनोई में वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक से मुलाकात की.हनोई में वियतनाम के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय का दौरा किया। उन्होंने अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान जियांग के साथ द्विपक्षीय चर्चा की। भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त ‘विजन स्टेटमेंट’ पर हस्ताक्षर किए गए। रक्षा मंत्री हनोई में एक ऐसे पगोडा में पहुंचे जहां पर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने साठ साल पहले वियतनाम के प्रेसिडेंट हो ची मिन्ह के साथ एक बोधि वृक्ष लगाया था। उसी वृक्ष के नीचे खड़े हो कर उन्होंने बौद्ध भिक्षुकों से बातचीत की। वियतनाम के साथ हमारी साझा बौद्ध विरासत हमारे आधुनिक संबंधों की एक मजबूत कड़ी है।

रणनीतिक साझेदारी के क्रम में अमेरिकी आर्मी पैसिफिक के कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए फ्लिन भारत यात्रा पर आए.उन्होने भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी से नई दिल्ली में मुलाकात की। दोनों के बीच आपसी हित के मुद्दों और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई। अमेरिकी जनरल ने पूर्वी लद्दाख के पास चीनी सेना की गतिविधियों को आंख खोलने वाली और कुछ बुनियादी ढांचों को खतरनाक बताया है। उन्होंने भारत के खिलाफ हिमालयी सीमा पर चीनी गतिविधियों को अस्थिर करने वाला बुरा बर्ताव बताया। पश्चिमी थिएटर कमांड में तैयार किया जा रहा बुनियादी ढांचा खतरनाक है। चीन का विस्तारवादी रास्ता क्षेत्र में शांति के लिए मददगार नहीं है। चीन के भ्रष्ट व्यवहारों का विरोध करने लिए हमें एक साथ तेजी से काम करना चाहिए। भारत और अमेरिका इसी साल अक्टूबर में हिमालय पर करीब दस हजार फीट की ऊंचाई पर प्रशिक्षण मिशन आयोजित करने के लिए तैयार हैं. यह अभ्यास उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध के क्षेत्र में अत्यंत उच्च-स्तरीय संयुक्त संचालन के लिए होते हैं। जाहिर है कि भारत की रक्षा तैयारी और अनेक देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी प्रभावी रूप में आगे बढ़ रहीं है.

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