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रणजी ट्रॉफी चैम्पियन बनते ही आए मध्य प्रदेश की टीम की आँखों में आंसू, मिला इतने करोड़ का कैश प्राइस

रणजी ट्रॉफी को उसका नया चैम्पियन मिल गया. मध्य प्रदेश ने बैंगलुरू के उसी चिन्नास्वामी स्टेडियम में खिताब जीतकर इतिहास रचा, जिसमें 23 साल पहले टीम चैम्पियन बनते-बनते रह गई थी.इस जीत से पंडित की पुरानी यादें ताजा हो गई जब 1999 में इसी चिन्नास्वामी स्टेडियम में उनकी अगुआई वाली मध्य प्रदेश की टीम ने पहली पारी में बढ़त के बावजूद फाइनल गंवा दिया था.

टीम के वर्तमान कोच चंद्रकांत पंडित, तब टीम के कप्तान थे. उनके मन में ही उस हार की कसक अब तक बनी हुई थी. तभी मध्य प्रदेश के पहली बार रणजी ट्रॉफी चैम्पियन बनते ही उनकी आंखों से भी आंसू बह निकले. मध्य प्रदेश को फाइनल में 108 रन का टारगेट मिला था, जिसे उसने 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया. पंडित के करियर का अंत निराशा के साथ हुआ। पंडित के मार्गदर्शन में विदर्भ ने भी चार ट्रॉफी (लगातार दो रणजी और ईरानी कप खिताब) जीती जबकि उसके पास कोई सुपरस्टार नहीं थे।

2010 के बाद से रणजी ट्रॉफी में कुछ सत्र कर्नाटक का दबदबा रहा लेकिन इसके बाद सिर्फ मुंबई ही एक खिताब जीत पाई जबकि अधिकांश खिताब राजस्थान (दो), विदर्भ (दो), सौराष्ट्र (एक) और मध्य प्रदेश (एक) जैसी टीम ने जीते जिन्हें घरेलू क्रिकेट में कमजोर माना जाता था। सेमीफाइनल और फाइनल खेलने वाले खिलाड़ी को 1.25 लाख रुपये मैच फीस के रूप में मिलेंगे. इसमें डीए की राशि जोड़ दी जाए तो यह रकम बढ़ जाती है.

 

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