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आखिर क्यों सुर्खियाँ बटोर रहा नए संसद भवन में लगा अशोक स्तंभ ? यहाँ जानिए इसका पूरा इतिहास और विवाद

चार शेरों वाला राष्ट्रीय चिह्न कोई बाजार में लगने वाली मूर्ति नहीं है कि बगैर शोध के ही बनकर तैयार हो जाए और लगा दी जाए। यह देश का राष्ट्रीय चिह्न है। नए संसद भवन की छत पर बने अशोक स्तंभ से जुड़ा विवाद गहराता जा रहा है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका अनावरण किया।

इसे बहुत सोच समझकर और विशेषज्ञों व दक्ष शिल्पकारों की निगरानी में बनाया गया है। यह कहना है नए संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के ऊपर लगे राष्ट्रीय चिह्न को कांस्य के ढांचे में ढालने वाले शिल्पकार लक्ष्मण व्यास का। विवाद अशोक स्तंभ में लगे शेर की मुद्रा पर हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि राष्ट्रीय चिह्न में जो शेर हैं वो शांत हैं, उनका मुंह बंद है।

नए संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ के शेर आक्रामक दिखते हैं, उनका मुंह खुला हुआ है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया कि अब सत्यमेव जयते से सिंहमेव जयते की ओर जा रहे हैं।

इटैलियन लास्ट वैक्स प्रोसिजर से बनाया: लक्ष्मण व्यास ने बुधवार को बताया कि हमें राष्ट्रीय चिह्न का ‘क्ले माडल’ मिला था। इटैलियन लास्ट वैक्स प्रोसिजर कांस्य की मूर्तियां इसी पद्धति से सांचे में ढाली जाती हैं। इसे कांस्य के सांचे में ढाला गया। इस प्रक्रिया में मोम के ढांचे में तरल धातु डाली जाती है और मोम पिघल जाता है। अशोक स्तंभ के चार शेर शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक हैं।

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