भारत जीवन-शैली प्रकृति के सर्वाधिक निकट है. इस कारण इसके व्यापक लाभ है. इसमें अहार विचार और योग आदि का भी समावेश है. नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से पूरी दुनिया में योग लोकप्रिय हो रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विश्व में मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और संयुक्त राष्ट्र की इसे बढ़ावा देने की पहल को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी हम भारत वासियों के कंधे पर है।
हम सबको मिलकर इसे जन आंदोलन बनाना है और देश के लोगों में मोटे अनाज के प्रति जागरुकता भी बढ़ानी है। मोटा अनाज किसानों खासकर छोटे किसानों के लिए भी फायदेमंद है। उन्होंने अपील की ज्यादा से ज्यादा मोटा अनाज अपनायें। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट (मोटा अनाज) वर्ष घोषित किया है। भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। आज दुनिया भर में मोटे अनाज के प्रति उत्साह बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज ‘मोटे अनाज’ जैसे बाजरा, जौ ज्वार को सुपरफूड की श्रेणी में रखा जा रहा है। देश में मोटे अनाज (मिलेट) को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। इससे संबंधित अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके।
‘डिजिटल इंडिया’ के तहत देश में मिल रहा इंटरनेट सुविधाओं को विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘डिजिटल इंडिया’ के तहत देश में इंटरनेट सुविधाओं को मिल रहे विस्तार का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अब तक बड़े शहरों तक ही इंटरनेट जैसी सुविधायें मौजूद थीं लेकिन अब मिशन के जरिए गांवों तक भी यह सुविधा पहुंच रही है।
इस वजह से देश में नए डिजिटल उद्यमी पैदा हो रहे हैं। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में जोरसिंग गांव में स्वतंत्रता दिवस पर शुरू हुई 4जी इंटरनेट सेवाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि गांव में बिजली पहुंचने से जिस तरह पहले खुशी मिला करती थी, अब वैसी ही खुशी 4जी इंटरनेट सेवा के पहुंचने से मिलती है।
‘अमृत सरोवर’ का निर्माण बना एक जन आंदोलन
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ‘अमृत सरोवर’ का निर्माण एक जन आंदोलन बन गया है और देश भर में इसके लिए कई सराहनीय प्रयास किए गए हैं। मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ में ही चार महीने पहले उन्होंने अमृत सरोवर की बात की थी। उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन, स्वयं सेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग ने मिलकर अमृत सरोवर का निर्माण को एक जन आंदोलन तबदील कर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के उदाहरण दिए।उन्होंने कहा, “जब देश के लिए कुछ करने की भावना हो, अपने कर्तव्यों का एहसास हो, आने वाली पीढ़ियों की चिंता हो, तो सामर्थ्य भी जुड़ता है, और संकल्प, नेक बन जाता है।”
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में सामाजिक जागरुकता जरूरी
प्रधानमंत्री ने लोगों से आने वाले पोषण माह में कुपोषण उन्मूलन के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह किया । उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरुकता के प्रयास कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सितम्बर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े बड़े अभियान को भी समर्पित है। हर साल 1 से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाते हैं।
कुपोषण के खिलाफ पूरे देश में अनेक रचनात्मक और विविध प्रयास किए जा रहे हैं। प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल और जन-भागीदारी भी पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल डिवाइस देने से लेकर आंगनबाड़ी सेवाओं की पहुंच को मॉनिटर करने के लिए पोषण ट्रैकर भी लॉन्च किया गया है। सभी आकांक्षी जिले और उत्तर पूर्व के राज्यों में 14 से 18 साल की बेटियों को भी, पोषण अभियान के दायरे में लाया गया है। कुपोषण की समस्या का निराकरण इन कदमों तक ही सीमित नहीं है। इस लड़ाई में, दूसरी कई और पहल की भी अहम भूमिका है। उदाहरण के तौर पर, जल जीवन मिशन को ही लें, तो भारत को कुपोषणमुक्त कराने में इस मिशन का भी बहुत बड़ा असर होने वाला है।
देशवासियों से दूरदर्शन पर ‘स्वराज’ सीरियल देखने का किया आग्रह
प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों से दूरदर्शन पर ‘स्वराज’ सीरियल देखने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले गुमनाम नायकों के प्रयासों से देश की युवा पीढ़ी को परिचित कराने की यह एक बड़ी पहल है। दूरदर्शन पर हर रविवार रात 9 बजे स्वराज सीरियल का प्रसारण हो रहा है और यह 75 सप्ताह तक चलने वाला है।
अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा अभियान में दिखी देश की सामूहिक शक्ति
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के विशेष अवसर हर घर तिरंगा अभियान के दौरान पर हमने देश की सामूहिक शक्ति को देखा। प्रधानमंत्री ने हर घर तिरंगा अभियान के दौरान प्रदर्शित उत्साह और देशभक्ति की सराहना करते हुए कहा कि आजादी के इस महीने में देश के कोने-कोने में ‘अमृत महोत्सव’ की ‘अमृत धारा’ बह रही है। अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले।
उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि, दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। बोत्स्वाना में स्थानीय गायकों ने भारत की आजादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए। नामीबिया में भारत- नामीबिया के सांस्कृतिक-पारंपरिक संबंधों पर विशेष स्टैम्प जारी किया गया। इस अवसर पर जो भारतीय विदेशों में थे, वो भी किसी से पीछे नहीं रहे। भारत के आठ पर्वतारोहियों ने आजादी के 75 वर्ष मनाने के लिए यूरोप की दो बड़ी पर्वतचोटियों को 24 घंटे में फतेह किया।
पहाड़ों में रहने वालों से सीख सकते हैं बहुत कुछ
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहाड़ों पर रहने वाले लोगों से जीवन में हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। पहाड़ों की जीवन शैली और संस्कृति से हमें यह पाठ मिलता है कि परिस्थितियों के दबाव में न आएं तो आसानी से उन पर विजय प्राप्त की जा सकती है। दूसरा हम कैसे स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश के स्पीति क्षेत्र में जनजातीय महिलाओं की ओर से मिलकर मटर तोड़ने के मुश्किल और मेहनत भरे काम का जिक्र किया। उन्होंने उत्तराखंड में पैदा होने वाली औषधि और वनस्पतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि एक बेडू नामक हिमालयन फिग खनिज और विटामिन से भरपूर है और लोग इसका सेवन बीमारी से दूर होने के लिए करते हैं।