नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध रखने का विचार व्यक्त किया था. इस दिशा में उन्होंने यथासंभव प्रयास भी किए थे. उनके इन प्रयासों में पाकिस्तान और चीन भी शामिल थे. विदेश नीति में विचार के साथ व्यवहार का भी महत्त्व होता है. सम्बन्धित देशों को नेक नीयत भी दिखानी होती है. पाकिस्तान और चीन फितरत में यह बात शामिल नहीं है. पाकिस्तान सीमा पार के आतंकवाद को छोड़ नहीं सका. चीन को सीमा पर तनाव बनाये रखना पसन्द है. ऐसे देश भारत के शांति और सौहार्द संबन्धी विचारों को समझ ही नहीं सकते. नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च मानते हुए प्रयास किया.
उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाह किया. लेकिन इसके अगले चरण में उन्होंने अपनी विदेश नीति के घोषित सिद्धांत पर अमल किया. उनका कहना था कि अब भारत किसी देश से आँख झुका कर या आंख दिखा कर बात नहीं करेंगा. अब भारत केवल आंख मिला कर बात करेगा. इस नीति के अनुरूप नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान और चीन के साथ व्यवहार कर रहे हैं. अब रिश्तों में सुधार के लिए पहले इन्हीं देशों को नेक नीयत दिखानी होगी. उन्हें अपनी हिंसक प्रवृत्ति का परित्याग करना होगा. यह राहत की बात है कि इस समय बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार है. उनकी पार्टी भारत के अहसान को याद रखती है. पड़ोसियों से बेहतर संबंध रखने की भारतीय नीति पर उसका विश्वास है.
इस संदर्भ में शेख हसीना की भारत यात्रा महत्त्वपूर्ण रही. इससे द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति हुई है. नरेन्द्र मोदी और शेख हसीना की वार्ता के बाद सात करार पर हस्ताक्षर किए गए. इनमें भारत और बांग्लादेश द्वारा साझा सीमा नदी कुशियारा से पानी की निकासी, भारत में बांग्लादेश रेलवे कर्मियों का प्रशिक्षण, बांग्लादेश रेलवे के लिए आईटी सिस्टम जैसे एफओआईएस और अन्य आईटी अनुप्रयोगों में सहयोग, भारत में बांग्लादेश न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम, सीएसआईआर, भारत और बीसीएसआईआर, बांग्लादेश के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग और प्रसार भारती और बांग्लादेश टेलीविजन (बीटीवी) के बीच प्रसारण में सहयोग से जुड़े समझौते शामिल हैं.
नरेन्द्र मोदी और शेख हसीना ने संयुक्त तौर पर मैत्री सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की यूनिट-I का अनावरण किया। इसे भारत की रियायती वित्तपोषण योजना के तहत निर्मित किया जा रहा है। यह परियोजना बांग्लादेश के राष्ट्रीय ग्रिड में 1320 मेगावाट जोड़ देगी। इसके अलावा मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने, दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क बढ़ाने और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को सुगम बनाने के लिए दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से 5.13 किमी के रूपा रेल पुल का उद्घाटन किया। यह 64.7 किमी खुलना-मोंगला पोर्ट ब्रॉड गेज रेल परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
बांग्लादेश सड़क और राजमार्ग विभाग को 25 पैकेजों में सड़क रखरखाव और निर्माण उपकरण और मशीनरी की आपूर्ति की जाएगी।खुलना दर्शन रेलवे लाइन लिंक परियोजना – यह परियोजना मौजूदा ब्रॉड गेज का दोहरीकरण बुनियादी ढांचे का उन्नयन है जो गेदे-दर्शन में वर्तमान सीमा पार रेल लिंक को खुलना से जोड़ती है, जिससे दोनों देशों के बीच, विशेष रूप से ढाका के बीच रेल कनेक्शन में वृद्धि होती है, लेकिन भविष्य में मोंगला पोर्ट के लिए भी। परियोजना की लागत 312.48 मिलियन अमरीकी डॉलर आंकी गई है.पार्वतीपुर-कौनिया रेलवे लाइन – मौजूदा मीटर गेज लाइन को दोहरी गेज लाइन परियोजना में बदलने का अनुमान 120.41 मिलियन अमरीकी डॉलर है.
यह परियोजना बिरोल बांग्लादेश -राधिकापुर पश्चिम बंगाल में मौजूदा सीमा पार रेल से जुड़ेगी और द्विपक्षीय रेल संपर्क को बढ़ाएगी। दोनों देश आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए. नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज दोनों देशों ने आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग पर भी जोर दिया है. बांग्लादेश निर्माण की भावना को जीवंत रखने के लिए भी यह बहुत आवश्यक है. कि हम ऐसी शक्तियों का मिल कर मुकाबला करें, जो हमारे आपसी विश्वास पर आघात करना चाहती हैं. कुशियारा नदी जल बंटवारे पर समझौते से भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा। चौवन नदियां भारत-बांग्लादेश सीमा से गुज़रती है. बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास भागीदार है. आईटी,अंतरिक्ष और नाभकीय उर्जा जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया गया.
जलवायु परिवर्तन और सुंदरबन जैसी साझा धरोहर को संरक्षित रखने पर भी सहयोग जारी रहेगा. मैत्री ताप विद्युत संयंत्र परियोजना भी बहुत महत्वपूर्ण है. भारत और बांग्लादेश बहुत जल्द सीईपीए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता पर चर्चा शुरू करेंगे। दोनों देशों ने अतीत में बकाया मुद्दों को सुलझाया है। तीस्ता जल बंटवारा संधि सहित दोनों देश सभी लंबित मुद्दों का शीघ्र समाधान किया जाएगा. गत वर्ष नरेंद्र मोदी विशेष औपचारिक अवसर पर बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे। इसके अंतर्गत बांग्लादेश ने एक साथ अपने दो राष्ट्रीय उत्सव आयोजित किये थे। उसकी आजादी की पचासवीं वर्षगांठ थी। इसके साथ ही बाग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीब की जन्म शताब्दी समारोह आयोजित किया गया था.बांग्लादेश सरकार ने इस उत्सव में नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। मोदी ने अपनी कार्यशैली के अनुरूप उस यात्रा में दोनों देशों के बीच सहयोग व साझेदारी बढ़ाने के कार्यक्रम को भी जोड़ दिया था.
इससे उनकी यात्रा का महत्व बढ़ गया था. राष्ट्रीय समारोहों से इतर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक हुई थी. दोनों प्रधानमंत्रियों ने राजनयिक रिश्तों की स्थापना की पचासनवीं वर्षगांठ की याद में भारत बांग्लादेश मैत्री स्टैंप भी जारी किया था।इसके अलावा द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में पांच सहमति पत्रों एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे. भारत और बांग्लादेश ने आपदा प्रबंधन,खेल एवं युवा मामलों,व्यापार और तकनीक जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे.
द्विपक्षीय विकास साझेदारी को मजबूती मिली थी. मोदी और शेख हसीना ने वर्चुअली कई परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया था.
इनमें भारत बांग्लादेश सीमाओं पर तीन नई सीमाई हाट और ढाका न्यू जलपाईगुड़ी के बीच नई यात्री ट्रेन मिताली एक्सप्रेस शामिल थीं। यह दोनों पड़ोसी देशों के बीच मैत्री एक्सप्रेस ढाका-कोलकाता और बंधन एक्सप्रेस के बाद तीसरी यात्री ट्रेन थी। यह नई अंतर-देशीय यात्री ट्रेन बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्मशती और बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती के मौके पर शुरू की गई थी। शेख हसीना की यात्रा से दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को नई ऊर्जा मिली है.