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टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में भागीदार बन रहीं संस्थाएं

• गेल इंडिया ने गोद लिये हुए टीबी रोगियों को प्रदान की पोषण किट

औरैया। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के साथ निजी संस्थाएं भी इन कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभा रहीं हैं। इसी क्रम में #गेल_इंडिया (भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड) ने जनपद के 230 टीबी रोगियों को गोद लिया था जिसमें 63 बच्चे और 167 महिलाएं शामिल हैं। सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अजीतमल में गेल इंडिया लिमिटेड द्वारा 25 टीबी रोगियों को पोषण किट प्रदान की गयी।

गेल इंडिया लिमिटेड के प्रतिनिधि ऋषभ ने कहा कि टीबी रोगियों को गोद लेकर उनकी सहायता कई तरीके से की जा सकती है। सबसे पहले टीबी मरीजों से भावनात्मक संबंध बनाया जाना महत्वपूर्ण है। टीबी मरीज को यह विश्वास दिलाएं कि नियमित दवा सेवन से वह जल्द ठीक हो सकते हैं। दवा सेवन के प्रति लापरवाही बरतने से टीबी की बीमारी गंभीर हो सकती है। प्रतिनिधि ऋषि और नितिन ने कहा कि सही समय से सही इलाज से टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। टीबी के लक्षण आने पर जल्द जांच और इलाज कराएँ। उन्होंने बताया कि दो हफ्ते तक खांसी, बुखार, रात में पसीना आना, भूख न लगना और लगातार वजन में गिरावट होना टीबी के प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लक्षण नजर आने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में जाकर टीबी की जांच कराकर चिकित्सक के निर्देशानुसार पूरा इलाज लें।

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जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संत कुमार का कहना है कि टीबी के लक्षणों में सबसे प्रमुख खांसी है जो लंबे समय तक चलती है। 2-3 सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहती है। खांसी के साथ खून आता है। ऐसे लक्षणों वाले व्यक्ति को टीबी जांच की सलाह दें तथा उन्हें अस्पताल ले जाने में मदद करें। जिला #क्षय रोग अधिकारी डॉ. एपी सिंह ने लोगों से अपील की कि सामाजिक दायित्व के तहत मरीजों को अस्पताल आने – जाने, इलाज और खानपान का खर्च उठा सकने में मदद करें। टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रेरित करें तथा जरूरत पड़ने पर उनके लिए पोषक आहार का प्रबंध करें।

ब्लॉक अजीतमल के एक गाँव की रहने वाली 29 वर्षीया राधा (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि दो माह पहले उन्हें टीबी रोगी होने की जानकारी मिली। उनका इलाज चल रहा है। गरीबी के चलते वह बेहतर खानपान नहीं ले पा रहीं थी। यहां मिली पोषण किट से उन्हें काफी मदद मिलेगी। संस्था के प्रतिनिधियों ने उन्हें बेहतर इलाज व जरूरत पड़ने पर किट देने का वादा किया है।

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क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने कहा कि गोद लेने वाले मरीजों को निक्षय पोषण योजना के लाभ के साथ भूना चना, सत्तू, सोयाबिन, गुड़, मूंगफली, बिस्किट आदि खाद्य पदार्थका एक किग्रा का पैकेट भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को 500 रुपए दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जनपद में 1797 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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