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सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मनाया गया निक्षय दिवस

• ओपीडी में आए 2493 मरीज, 235 मरीजों का लिया सैंपल

औरैया। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से ज़िले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर गुरूवार को निक्षय दिवस मनाया गया। इस दिवस का उद्देश्य टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान, गुणवत्तापूर्ण इलाज और योजनाओं का लाभ दिलाना है। कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर उपकेंद्रों में तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर (सीएचओ) ने ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या के 10 प्रतिशत लोगों की टीबी की जांच की।

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क्षयरोग विभाग से मिले आँकड़ों के अनुसार निक्षय दिवस पर जनपद के हेल्थ वेलनेस सेंटर, समस्त शहरी पीएचसी, ब्लॉक स्तरीय पीएचसी-सीएचसी व अन्य राजकीय चिकित्सालयों पर कुल 2493 मरीजों की ओपीडी हुई जिसमें से 235 संभावित व्यक्तियों का बलगम सैंपल लिया गया। जिनमें 171 सैंपल जांच के लिए भेजा गया। पॉज़िटिव व्यक्तियों का तत्काल प्रभाव से उपचार किया जाएगा। निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत करते हुये उन्हें हर माह 500 रुपये की पोषण के लिए आर्थिक सहायता डीबीटी के जरिये दी जाएगी।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव का कहना है कि टीबी का मरीज एक वर्ष में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है।ऐसे में, टीबी का समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है। यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। इसलिए, इसे छिपाने की नहीं, बल्कि इस रोग के इलाज की जरूरत है। टीबी के मरीजों को अपना उपचार बीच में नहीं छोड़ना चाहिए । यदि बीच में उपचार छोड़ दिया जाए, तो टीबी से ठीक होना कठिन हो जाता है।

इसी क्रम में ज़िला क्षय रोग विभाग मे आयोजित निक्षय दिवस के अवसर पर मौजूद जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ संत कुमार ने करीब क्षय रोगियों को 20 पोषण किट प्रदान दी। डॉ कुमार ने बताया ने कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है। टीबी की दवा पूरी अवधि तक लेना है और एक भी दिन दवा छूटनी नहीं चाहिए। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों और चिकित्सालयों में टीबी जांच की सुविधा मौजूद है । जिला पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने बताया की अब से हर माह की 15 तारीख़ को निक्षय दिवस मनाया जाएगा जिसमें ओपीडी में आने वाले मरीजों में से 10 प्रतिशत लोगों की जिनमें टीबी रोग के लक्षण दिखाई देंगे उनकी जांच की जायेगी।

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इन पर रहा फोकस

स्वास्थ्य इकाइयों पर संभावित मरीजों के बलगम के नमूने लेने के लिए कफ कार्नर बनाए गए थे। क्षय रोगियों को जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई गयी। स्वास्थ्य इकाई पर टीबी की जांच, उपचार के बारे में परामर्श दिया गया। दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी होने, दो सप्ताह या अधिक समय से बुखार आने, वजन में कमी आना व भूख न लगने के साथ बलगम से खून आने की बात मरीजों से पूछी गई।

संभावित क्षय रोगियों की पहचान के लिए प्रमुख लक्षण 

– दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी होना।
– दो सप्ताह या अधिक समय से बुखार आना।
– वजन में कमी आना/ भूख न लगना।
– बलगम से खून आना।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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