लखनऊ। बीजेपी BJP मिशन 2019 की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी में 73 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य भाजपाइयों को दिया है। क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी संगठन में फेरबदल कर सक्रिय कार्यकर्ताओं व नेताओं को प्रमोट किया जा रहा है। साथ ही निष्क्रिय व बागी कार्यकर्ताओं-नेताओं पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।
आम चुनाव से पहले BJP
सूत्रों की मानें तो आम चुनाव से पहले BJP बीजेपी मौजूदा दो दर्जन से अधिक सांसदों के टिकट काटने की तैयारी में हैं। इनमें कई दलित सांसद भी आलाकमान के निशाने पर हैं।
भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की तमाम बैठकों में मंथन के बाद सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में कई ऐसे भाजपा सांसद हैं, जिनको लेकर जनता के बीच नाराजगी है। वो न तो कभी पब्लिक के बीच जाते हैं और न ही बीजेपी के कार्यक्रमों में उनकी कोई सक्रिय भूमिका दिखती है। सूत्रों की मानें तो यूपी में करीब 25 सांसद ऐसे हैं, जो बीजेपी के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। इनमें कई दलित सांसदों के नाम भी शामिल हैं। जिन्हें टिकट कटने का आभास है, उन्होंने नया ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है।
2014 के लोकसभा चुनाव में
2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से बीजेपी के टिकट पर 17 दलित सांसद चुनाव जीते थे। इनमें से कई निष्क्रिय हैं और कुछ ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इनमें सबसे ऊपर नाम बहराइच की दलित सांसद सावित्रीबाई फुले का है। फुले ने दलित मुद्दों को लेकर बीजेपी के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मोर्चा खोल रखा है।
वो आरक्षण के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ लखनऊ में बड़ी रैली कर चुकी हैं, साथ ही आये दिन बयानबाजी करती रहती हैं। इनके अलावा रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार, इटावा से सांसद अशोक दोहरे और नगीना सांसद यशवंत सिंह भी खुले तौर पर नाराजगी जता चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी इनके टिकट काट सकती है।
इन सांसदों के भी टिकट काटे जाने की चर्चा
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि बीजेपी इस बार मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्रा और उमा भारती जैसे बड़े नामों के टिकट काट सकती है। इनके अलावा लालगंज की सांसद नीलम सोनकर, मिश्रिख सांसद डॉ. अंजू बाला, हरदोई सांसद अंशुल वर्मा और मछलीशहर से सांसद रामचंद्र निषाद का टिकट काटे जाने की चर्चा है।