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इन देवताओं को भूलकर भी अर्पित न करें तुलसी, जानिए कारण  

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का खास महत्व बताया गया है. कहते हैं कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है. भगवान विष्णु से लेकर हनुमान जी तक को तुलसी पत्र अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन कुछ देवता ऐसे भी हैं, जिन्हें शास्त्रों में तुलसी पत्र अर्पित करना वर्जित है. मान्यता है कि इन्हें तुलसी पत्र अर्पित करने से वे नाराज हो जाते हैं और व्यक्ति का जीवन मुश्किलों से घिर जाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा तुलसी पत्र के बिना अधूरी मानी जाती है. वहीं, कुछ देवताओं को तुलसी अर्पित करने से वे रुष्ट हो जाते हैं.

धार्मिक शास्त्रों में हर देवी-देवता की कुछ प्रिय चीजें होती हैं. इन प्रिय चीजों को देवताओं को अर्पित करने से व्यक्ति को जल्द ही भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण और श्री हरि का तुलसी पत्र बेहद प्रिय है. लेकिन भगवान शिव और गणेश जी को भूलकर भी तुलसी पत्र अर्पित न करें.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक बार गणेश जी गंगानदी के तट पर तपस्या कर रहे थे और धर्मात्मज की पुत्री तुलसी विवाह की इच्छा लिए भ्रमण पर निकलीं थी. गणेश जी को देख वे मोहित हो गईं और उनकी तपस्या भंग कर दी. इसके बाद गणेश जी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा. उन्होंने तुलसी का प्रस्ताव ये कहकर ठुकरा दिया कि मैं ब्रह्मचारी हूं. इसी बात से क्रोधित होकर तुलसी ने गणेश जी को दो शादियों को श्राप दिया.

इतना ही नहीं, ये भी कहा कि गणेश जी की शादी असुर से होगी. तुलसी की ये बात सुनकर गणेश जी परेशान हो गए और तुलसी से माफी मांगने लगे. ऐसे में गणेश जी ने तुलसी से कहा कि तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिय मानी जाओगी लेकिन गणेश जी की पूजा में तुलसी अर्पित करना अशुभ माना जाएगा. इसी कारण गणेश जी को तुलसी अर्पित नहीं की जाती.

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