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हिन्दू महासभा के भोजशाला मुक्ति आंदोलन का शंखनांद 14 जनवरी को

पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी 13 को भोजशाला के लिये होंगे रवाना

लखनऊ। अखिल भारत हिन्दू महासभा, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ आगामी 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के धार में होने जा रहे भोजशाला मुक्ति आंदोलन शंखनांद कार्यक्रम में हिस्सा लेगें। कार्यक्रम के मुताबिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी कार्यकर्ताओं के साथ 13 जनवरी को रवाना होंगे वहीं प्रदेश अन्य नेता और कार्यकर्ता दल बल के साथ अपने-अपने जिलों से धार पहुंचकर भोजशाला मुक्ति आंदोलन शंखनांद कार्यक्रम में भागीदारी निभायेंगे। मालूम हो कि हिन्दू महासभा ने मध्यप्रदेश के धार में स्थित भोजशाला को हिन्दू समाज को सौंपकर मां वाग्मबरी सरस्वती की प्रतिमा पुनर्स्थापित करने की मांग को लेकर 14 जनवरी को भोजशाला पहुंच कर आंदोलन के शंखनांद करने की घोषणा की है।

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हिन्दू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने भोजशाला मुक्ति आंदोलन के शंखनांद कार्यक्रम में हिस्सा लेने की घोषणा करते हुये सम्पूर्ण हिन्दू समाज से आह्वान करते हुये कहा कि यह आन्दोलन सिर्फ हिन्दू महासभा का नहीं बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू सनातन धर्मियों का है, इसलिये अधिक से अधिक लोग वहां पहुंचे। श्री त्रिवेदी ने भोजशाला के ऐतिहासिक तथ्यों को जिक्र करते हुये बताया कि सन् 1305 में मुस्लिम आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर आक्रमण किया और उसे नष्ट कर दिया। बाद में सन् 1401 में दिलावर खां ने भोजशाला के एक भाग में मस्जिद का निर्माण करा दिया। अंततः सन् 1514 में महमूद शाह खिलजी ने भोजशाला के शेष बचे हिस्से पर मस्जिद का निर्माण करा दिया। समय के साथ यहाँ विवाद बढ़ता गया और अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भोजशाला को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया गया।

यही नहीं सन् 1305 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय भोजशाला के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी खिलजी की इस्लामिक सेना का विरोध किया था। खिलजी द्वारा लगभग 1,200 छात्र-शिक्षकों को बंदी बनाकर उनसे इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया लेकिन इन सभी ने इस्लाम स्वीकार करने से मना कर दिया। इसके बाद इन विद्वानों की हत्या कर दी गई थी और उनके शव को भोजशाला के ही विशाल हवन कुंड में फेंक दिया गया था। इस तरह एक और हिन्दू मंदिर इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ गया। बसंत पंचमी के दिन हिन्दू यहाँ माता सरस्वती की उपासना करने के लिए आते हैं, लेकिन यह पूजा-पाठ भी कानून के दायरे में रहकर और भीषण सुरक्षा-व्यवस्था के बीच संपन्न होती है।

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सन् 2013 में बसंत पंचमी, शुक्रवार के दिन ही थी जिसके कारण भोजशाला में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी और पुलिस को यहाँ कार्रवाई करनी पड़ी थी। श्री त्रिवेदी ने बताया कि भोजशाला की तरह देश में मुस्लिम आक्रांताओं ने हजारों हिन्दू धार्मिक मन्दिरों को तोड़फोड़ कर जबरन मस्जिदों का निर्माण कर दिया, जिसका मुक्ति के लिये हिन्दू महासभा प्रारम्भ से लड़ाई लड़ती रही, और जिसकी सफलता का परिणाम आज निर्माण हो रहे राम मन्दिर सामने है, जिसकी न्यायिक लड़ाई की शुरूआत हिन्दू महासभा ने की थी, और इसी तरह चाहे वह काशी का विश्वनाथ मन्दिर हो या फिर कृष्ण जन्मभूमि, लक्ष्मण टीला, लखनऊ या फिर अन्य कोई मुगल आक्रांताओं के शिकार रहे हिन्दू धार्मिक स्थल, उसे भी मुक्त कराने के लिये हिन्दू महासभा हर संभव संघर्श कर रही है।

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