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प्रसव पूर्व जांच में कानपुर जनपद प्रदेश में शीर्ष पर

• राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -5 के अनुसार 70 प्रतिशत चारों प्रसव पूर्व जांच 

• सुरक्षित मातृत्व देखभाल में स्वास्थ्यकर्मी की भूमिका अहम- सीएमओ

कानपुर नगर। सुरक्षित मातृत्व स्वास्थ्य देखभाल की नींव यानि गर्भवती का पंजीकरण और संस्थागत प्रसव कराने में काफी हद तक सफ़लता मिली है, कानपुर जनपद की गर्भवतियों की चार प्रसव पूर्व जाँच में जनपद उत्तर प्रदेश में शीर्ष पर है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -5 के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक 70 प्रतिशत चारों प्रसव पूर्व जाँच कराने वाले में जहाँ एक और जनपद अव्वल है वहीं सर्वे के अनुसार सबसे अंतिम पायदान (20 प्रतिशत) पर जनपद उन्नाव है।

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हेल्थ, पोपुलेशन, एंड न्यूट्रीशन जनरल में वर्ष 2019 में प्रकाशित एक शोध- ‘यूटिलाइजेशन ऑफ़ मैटरनल हेल्थ सर्विसेज एंड इट्स डिटर्मिनेंट्स: अ क्रोस- सेक्शनल स्टडी अमंग वीमेन इन रूरल उत्तर प्रदेश, इंडिया’ के अनुसार भी प्रसव के पहले देखभाल और प्रसव के बाद देखभाल, दोनों के लिए, स्वास्थ्य कार्यकर्ता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ ज्यादा संपर्क से महिलाओं की एएनसी और पीएनसी का लाभ उठाने की संभावना बढ़ी है।

प्रसव पूर्व जांच

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन के अनुसार सुरक्षित मातृत्व देखभाल में स्वास्थ्यकर्मी की भूमिका अहम है। आशा कार्यकर्ता और एएनएम एक गर्भवती के सबसे पहले संपर्क सूत्र होते हैं। ऐसे में जनपद की आशा और एएनएम आपसी समन्वय के साथ कार्य करने का ही बेहतर परिणाम कानपुर जनपद को मिला है। उन्होंने बताया की सुरक्षित प्रसव करवाने के लिए सरकार कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। इनमें आशा कार्यकर्ता की भूमिका अहम है। प्रत्येक परिवार का दायित्व है कि अगर उनके घर में गर्भवती हैं, तो आशा कार्यकर्ता की बात मान कर स्वास्थ्य सेवाओं का निशुल्क लाभ लें।

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (आरसीएच) डॉ एसके सिंह बताते हैं कानपुर में ग्रामीण से शहरी क्षेत्र तक सभी जगह स्टाफ़ है जिसके चलते मातृत्व स्वास्थ्य को लेकर जो भी लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं, उसके परिणाम अच्छे दे पाते हैं। “हालाँकि शहरी क्षेत्र में 50 शहरी उपकेन्द्र है, लेकिन यदि मलिन बस्तियों के लिए और आशा कार्यकर्ता मिल जाये तो स्थिति यह 70 प्रतिशत जो नंबर है वह और बढ़ सकता है।’’

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जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ सीमा श्रीवास्तव बताती हैं कि गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में समस्या की पहचान और प्रबंधन के लिए और गर्भावस्था सम्बन्धी जटिलताओं को रोकने के लिए प्रसवपूर्व जांच आवश्यक है जो मातृ और भ्रूण मृत्यु को कम करने में मदद करेगी। ऐसे में हमारा पूरा ध्यान होता है कि महिला को सुविधा मिल सके। हम लोग फुल मैटरनिटी केयर यानि हर एक गर्भवती महिला को सम्मानजनक देखभाल दी जाये, इसपर जोर दे रहे हैं। इसके लिए प्रशिक्षण सत्र भी समय समय पर चलाये जाते हैं।

जनपदीय मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता हरिशंकर मिश्रा बताते है मातृत्व स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस और क्लिनिक दिवस मनाया जाता है। इसमें गर्भवतियों की सम्पूर्ण जांचकर, उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था को चिन्हित किया जाता है। गर्भवतियों को उचित सलाह दी जाती है। प्रसव पूर्व जांच के जरिए ही प्रसव संबंधी जटिलताओं का पता लगाकर उनका समय पर निस्तारण किया जा सकता है।

क्या कहते हैं आंकड़े

एनएफ़एचएस-5 के आंकड़े दर्शा रहे हैं जनपद में कुल 95.6 प्रतिशत गर्भवती को रजिस्टर करके उनको मातृ एवं शिशु सुरक्षा कार्ड (एमसीपी) जारी किया गया, और 86.6 प्रतिशत गर्भवतियों के संस्थागत प्रसव कराये गए। वहीं जब प्रसव पूर्व जाँच की बात आती है तो 78.4 प्रतिशत गर्भवती ने ही प्रथम तीमाही में प्रसव पूर्व जाँच करायी, और कुल 69.9 प्रतिशत गर्भवती ने गर्भावस्था के दौरान होने वाली कुल चार प्रसव पूर्व जाँच करायी।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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