वित्तीय धोखाधड़ी (financial fraud) रोकने को यूपी सरकार (Yogi government) अब डिजिटल लेनदेन कराने वाले मोबाइल ऐप को चिन्हित कर उनको प्रतिबंधित कराएगी। इसके लिए उसने रिजर्व बैंक आफ इंडिया से सभी तरह के मोबाइल ऐप की सूची मांगी है।
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संदेहास्पद व गड़बड़ी वाले मोबाइल ऐप की सूची मिलने पर सरकार गूगल से इन्हें अपने प्लेटफार्म से हटाने के लिए कहेगी। यही नहीं यूपी सरकार ने रिजर्व बैंक से अनुरोध किया है कि यह भी पता लगाया जाए कि कौन कौन से वित्तीय संस्थाएं बैंक व बैंकर अपने नाम में जोड़कर ग्राहकों से पैसा जमा करा रही हैं। इसके अलावा डायरेक्ट सेलिंग वाली कंपनियों की भी नए सिरे से पड़ताल होगी।
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इस संबंध में यूपी सरकार अब रिजर्व बैंक व सेबी के सहयोग से जागरूकता अभियान भी चलाएगी। डिजिटल लेनदेन के लिए जनता को ठगी का शिकार बनाने वाले ऐसे मोबाइल ऐप के बारे में जनता को जागरुक भी किया जाएगा। पेटीएम, भीम, रुपे, जैसे डिजिटल लेनेदेन वाले व्हाइट मोबाइल ऐप तो रिजर्व बैंक की अनुमति व नियम से प्रचलन में हैं लेकिन कई दूसरे ब्लैक श्रेणी वाले ऐप लोगों से ठगी कर रहे हैं।
जमाकर्ता हित संरक्षण पोर्टल पर उपभोक्ताओं से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों व फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ आने वाली शिकायतें दर्ज होंगी। यह शिकायतें पटल कार्यालय से आएंगी। एडीएम वित्त एवं राजस्व इन शिकायतों के निवारण कराने में संबंधित सक्षम अधिकारियों से बातचीत करेंगे। वसूली के लिए डीएम के जरिए बिल्डरों व फाइनेंस कंपनियों से लोगों को जमा पैसा वापस कराया जाएगा। जरूरत पड़ने पर संपत्ति भी कुर्क होगी।
यूपी सरकार (Yogi government) ने साइबर ठगी के शिकार लोगों की शिकायत दर्ज करने व उस पर कार्रवाई के लिए हर जिले में एडीएम वित्त एवं राजस्व को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उनके कार्यालय में जमा हित संरक्षण पटल कार्यालय बनाया गया है। यहां आने वाली शिकायतें जमाकर्ता हित संरक्षण पोर्टल पर दर्ज होंगी।