अयोध्या। श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला के दिव्य मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। इस बीच रामघाट स्थित श्रीरामजन्म भूमि कार्यशाला में एकत्र तराशे (नक्काशीदार) पत्थरों की काई को हैंड मशीन से साफ कर श्रीरामजन्म भूमि परिसर में भेजा जा रहा है।
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नब्बे के दशक में करीब एक लाख घनफुट बंशीपहाड पुर के गुलाबी पत्थरों को यहां मंगवा कर उन्हें राम मंदिर माडल के अनुसार तराशा गया था। हालांकि लंबे समय से धूप-वर्षा झेलते इन पत्थरों में से 60 प्रतिशत पत्थरों को रिजेक्ट कर दिया गया था। शेष 40 प्रतिशत तराशे गये पत्थरों का उपयोग हो रहा है।
इन पत्थरों पर जमा काई की सफाई कराने के लिए कई तरह के प्रयोग किए गये। अंत में हैंड मशीन का उपयोग हो रहा है। इसके लिए राजस्थान से कारीगर बुलाए गये है। इसके पहले तीर्थ क्षेत्र की ओर से अलग-अलग आधा दर्जन इंटरनेशनल फर्मों को आमंत्रित कर उनका परीक्षण किया और फिर उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि समय आने पर पुनः अवसर दिया जाएगा। इन्हीं में दिल्ली की इंटरनेशनल कंपनी क्लीन एण्ड क्योर भी शामिल थी।
उधर श्रीरामजन्म भूमि में विराजित होने वाले रामलला के श्रीविग्रह के निर्माण की प्रक्रिया एक कदम आगे बढ़ गई है। इसके लिए गठित तीन अलग-अलग टीमों में से एक टीम दो दिन पहले से यहां आ चुकी है जबकि शेष दो टीमों की प्रतीक्षा है।
इस बीच कर्नाटक के मूर्तिकला विशेषज्ञ प्रो.जीएल भट्ट के नेतृत्व में यहां पहुंची टीम के मूर्तिकारों ने परीक्षण के मानक पर खरी उतरी मैसूर के एक कृष्ण शिला की कटिंग कर उसमें से पांच गुणा ढाई गुणा दो फिट का टुकड़ा अलग किया है। बताया गया कि इस टुकड़े की पहले गढ़ाई की जाएगी और फिर निर्धारित साइज में सर्व सम्मति से स्वीकृत रामलला के श्रीविग्रह के पेंसिल स्केच के मुताबिक चित्र को उकेरा जाएगा।
फिलहाल तीर्थ क्षेत्र बाद में पत्थरों की सफाई के लिए किसी कंपनी को आमन्त्रित नहीं किया गया बल्कि दर्जनों महिला कार्मिकों को बुलाकर घिसाई के जरिए काई को निकलवाने का प्रयास किया गया। महीनों तक चले इस श्रम साध्य कार्य का अनुकूल परिणाम नहीं मिलने पर उन्हें भी वापस भेज दिया गया। अब राजस्थान के कारीगरों से मशीन के जरिए तत्काल सफाई कराकर उन सभी पत्थरों को ट्रैक्टर-ट्राली से परिसर में भेजा जा रहा है।