कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka assembly elections) में शानदार जीत से कांग्रेस (Congress) से हौसले बुंलद हैं। पार्टी को भरोसा है कि इस जीत का फायदा पांच राज्यों के विधानसभा और वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मिलेगा।
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पर इस जीत का असर पार्टी संगठन पर भी नजर आएगा। गृह राज्य कर्नाटक में जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कद और रुतबा बढ़ा है। संगठन पर उनकी पकड़ को मजबूती मिली है।
खड़गे के लिए यह जीत इसलिए भी अहम है, क्योंकि करीब चार दशक बाद किसी पार्टी अध्यक्ष को अपने गृह राज्य में जीत मिली है। इससे पहले राजीव गांधी के पार्टी अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने 1985 में यूपी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद किसी पार्टी अध्यक्ष के गृह राज्य में कांग्रेस जीत का परचम नहीं लहरा पाई। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, इससे संगठन में खड़गे और मजबूत हुए हैं।
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कांग्रेस नेता मानते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत का असर पार्टी संगठन में फेरबदल और कांग्रेस कार्यसमिति के गठन पर भी नजर आएगा। पिछले साल अक्टूबर में पार्टी की कमान संभालने के बाद खड़गे हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में पार्टी को जीत दिलाने में सफल रहे हैं। ऐसे में उन्हें ऐसी टीम की जरूरत है, जो पार्टी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में जीत दिला सके।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, कर्नाटक चुनाव में जीत से संगठन के अंदर पार्टी अध्यक्ष की पकड़ मजबूत हुई है। गांधी परिवार को उन पर पूर्ण विश्वास और उनके निर्णयों पर भरोसा है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष अपनी पसंदीदा टीम का चुनाव करेंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, चुनावी राज्यों को छोड़कर लगभग सभी प्रदेशों में नए प्रभारी नियुक्त किए जा सकते हैं। सचिवों में भी बदलाव होगा।
पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने अभी अपनी नई टीम का गठन नहीं किया है। कांग्रेस कार्यसमिति का भी गठन होना है। रायपुर महाधिवेशन में पार्टी ने सीडब्लूसी के सभी सदस्यों को मनोनीत करने के लिए खड़गे को अधिकृत किया था। हालांकि, पार्टी ने सीडब्लूसी के सदस्यों की संख्या में वृद्धि करते हुए समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व की बात की थी।